चीन ने सोमवार को हालिया बयान के लिए भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत की आलोचना की। बयान को गैर रचनात्मक और सीमा पर स्थापित शांति को नुकसान पहुंचाने वाला बताया गया है।
बीजिंग की यह प्रतिक्रिया दो दिन पहले जनरल रावत के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को अपना फोकस पाकिस्तान सीमा से हटाकर चीन सीमा पर करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा था कि डोकलाम विवादित क्षेत्र है और यहां चीनी सैनिकों की संख्या में कमी आई है।
चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, पिछले साल भारत-चीन संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। सितंबर, 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स में मुलाकात व दिसंबर में हुई उच्चस्तरीय वार्ता में रिश्तों को पटरी पर लाने की सहमति बनी।
लू कांग ने कहा कि हम भारतीय पक्ष से अपील करते हैं कि वह दोनों नेताओं की ओर से बनी आम राय के बाद के कदमों पर काम करे ताकि सीमाई इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के उपाय किए जा सकें और ऐसी चीजों से परहेज किया जाए जिससे हालात जटिल होते हों।
आपको बता दें कि दो दिन पहले ही जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत को पाकिस्तान के साथ लगती सीमा के साथ-साथ पूर्वी सीमा पर भी ध्यान देने की जरूरत है। जनरल ने कहा था कि चीन अगर मजबूत है तो भारत भी अब कमजोर नहीं है। भारत अपनी सीमा पर किसी भी देश को अतिक्रमण नहीं करने देगा। अब हालात 1962 जैसे नहीं है। हर क्षेत्र में भारतीय सेना की ताकत बढ़ी है।