पटना : एनडीए सरकार के चार साल भी पूरे भी नहीं हुए और पूरे देश में भाजपा विरोध की लहर चल रही है। खास कर देश के कई राज्यों में दलितों पर हो रहे अत्याचार, गोकसी के नाम पर मुसलमानों पर सितम तथा सामाजिक न्याय के ताने बाने को कमजोर करने का साजिश है।
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, तेलुगु देशम पार्टी तथा शिव सेना जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों का एनडीए गठबंधन से अलग होने का मूल कारण दलित समाज के प्रमोशन में रिजर्वेशन बिल को पार्लियामेंट में लंबित रखना, न्यायिक सेवा में दलित समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होना है तो दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू की सरकार को तेलंगाना राज्य के गठन के बाद स्पेशल पैकेज की घोषणा रहा है।
महाराष्ट्र में किसानों की आत्म हत्या को लगातार उपेक्षा से तंग आकर शिव सेना ने भी एनडीए से अलग राह बना लिया है। बिहार में भी मांझी सरकार के कैबिनेट में 5 एकड़ तक के किसानों को मुफ्त बिजली देने की व्यवस्था हम पार्टी के एजेंडे में रहा है। बिहार और उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनाव भाजपा नीत सरकार के अलोकप्रिय होने का सीधा संदेश दे रहा है।
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