नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि दिल्ली समूचे देश के लिये बदलाव का उदाहरण नहीं बननी चाहिए क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी वायु प्रदूषण को लेकर ‘गंभीर समस्या’ से जूझ रही है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने कहा कि दिल्ली ने ठोस कचरे के प्रबंधन के मामले में कदम उठाए हैं और यह दूसरों के लिये एक उदाहरण होनी चाहिए। गोन्साल्विज ने कहा कि दिल्ली में गठित समिति ने इस मसले पर चर्चा की है ओर 12 जनवरी को हुयी बैठक में दिल्ली सरकार और नगर निगम इस बात पर सहमत हो गये हैं कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 पर अमल होना चाहिए।
उन्होंने पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों ने कचरे को अलग अलग करने, घर घर जाकर कचरा एकत्र करने जैसे मुद्दों पर कार्ययोजना तैयार की है और इस बात पर भी सहमति हुई है कि सफाई का काम दिन में दो बार होना चाहिए और शिकायत एवं सुझाव की व्यवस्था होनी चाहिए और इससे निबटने के लिये एक प्रभारी अधिकारी होना चाहिए। गोन्साल्विज ने जब यह कहा कि दिल्ली पूरे देश के लिये इस बदलाव का एक उदाहरण होनी चाहिए तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा नहीं हो। यहां पर प्रदूषण की गंभीर समस्या है।’’ दिल्ली सरकार के वकील वसीम अहमद कादरी ने भी 12 जनवरी की बैठक का हवाला दिया ओर कहा कि इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले किये गये हैं।
पीठ ने कादरी से समिति की अगली बैठक के कार्यक्रम के बारे में भी पूछा । पीठ ने कहा, ‘‘इस बैठक की कार्यवाही का आधिकारिक विवरण कहां हैं’’ तो वकील ने कहा कि वह आज ही यह विवरण उपलब्ध करा देंगे। पीठ ने उनसे कहा कि बैठक की कार्यवाही का आधिकारिक विवरण कल तक उपलब्ध कराया जाये। बैठक की अगली तारीख के बारे में कादरी ने कहा कि उनके पास इस बारे में कोई निर्देश नहीं है लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि इसकी अगली तारीख अभी तय होनी है।
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