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समाज में जब जब निराशा बढ़ी, तब तब संतों ने समाज को नई दिशा दी – राष्ट्रपति

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश का सौभाज्ञ है कि समाज में जब जब निराशा बढ़, तब तब गुरू घासीदास जैसे संतों ने समाज को नई आशा और दिशा दी है। दो दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंचे राष्ट्रपति कोविंद ने आज सतनामी समाज के प्रसिद्ध तीर्थ और संत घासीदास की जन्मस्थली का दौरा किया तथा सामुदायिक भवन का भूमिपूजन किया।  गिरौदपुरी धाम में दो करोड़ 25 लाख रूपए की लागत से बनने वाले सामुदायिक भवन के भूमिपूजन समारोह को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश का सौभाज्ञ है कि समाज में जब-जब निराशा बढ़ है, तब-तब गुरु घासीदास जी जैसे संतों ने समाज को नई आशा और नई दिशा दी है।

गुरु घासीदास ने आज से लगभग दो सौ साल पहले यहां के बिखरे हुए समाज को सुधारने का महान कार्य किया। उन्होंने गरीबों, विशेषकर दलितों के हित में तथा सभी सामाजिक बुराइयों और अन्याय के खिलाफ एक संघर्ष छेड़ था। उन्होंने जो काम किया वह जन-जागरण की शानदार मिसाल है।  उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास ने समझाया कि सत्य ही ईश्वर का दूसरा नाम है। सत्य आचरण ही धर्म है। गुरुजी को तो ज्ञान मिल ही गया था। लेकिन लोगों के कल्याण के लिए उन्होंने एकांतवास छोड़कर समाज के शोषित वर्ग के कल्याण के लिए काम करना शुरू किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु घासीदास ने लोगों में रूंच-नीच और छुआछूत की भावना को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने भाईचारा और समरसता का संदेश दिया। निजी जीवन में नैतिकता बरतने की शिक्षा दी। खान-पान की सादगी पर ज़र दिया। नुकसानदेह धार्मिक रूढय़रों पर उन्होंने प्रहार किया, जो आधुनिक समाज के निर्माण के लिए जरूरी था। उन्होंने महिलाओं के सम्मान पर ज़र दिया और विधवा विवाह का समर्थन किया।  कोविंद ने कहा कि सबसे पहले गुरु घासीदास ने गिरौदपुरी में ही जैतखाम स्थापित किया था। आज का आधुनिक जैतखाम सतनामी समाज का केंद्र होने के साथ शांति, अहिंसा, प्रेम और करुणा का प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि गुरू घासीदास के उपदेशों ने सतनामी समाज के साथ-साथ पूरे छथीसगढ़ को समाज सुधार की दिशा में आगे बढ़या है और पहचान दी। उनकी जन्मभूमि, तपोभूमि और कर्मभूमि होने के नाते यह स्थान एक तीर्थस्थल है। यहां आने वाले धन्य हैं कि उन्हें ऐसे संत की महानता तथा उसके सामाजिक दर्शन को समझने का एक मौका मिलता है।  राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि आज जिस सामुदायिक भवन की आधारशिला रखी गई है, वह भी गुरु घासीदास जी के आशीर्वाद से एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र बनेगा।

उन्होंने कहा, बिलासपुर में गुरु घासीदास के नाम से जो विश्वविद्यालय है, उसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ प्राप्त हुआ है। मैं आशा करता हू कि इस विश्वविद्यालय के छात्र देश और विदेश में उनके आदशो’ और उपदेशों को अपने आचरण के बल पर प्रसारित करेंगे।  गिरौदपुरी धाम में राष्ट्रपति के रूप में कोविंद की पहली यात्रा है। हालांकि जब वह बिहार के राज्यपाल थे, तब उन्होंने गिरौदपुरी की यात्रा की थी।

कोविंद ने कहा कि कुछ वषो’ पहले उन्हें इस तीर्थस्थल पर आने का सौभाज्ञ मिला था। इस क्षेत्र में जहां गुरु घासीदास जी ने तपस्या की थी, वहां रात्रि विश्राम करने और पूरे क्षेत्र का भ्रमण करने का सुअवसर मिला था। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित गिरौदपुरी सुप्रसिद्ध संत और महान समाज सुधारक गुरूबाबा घासीदास की जन्मस्थली और तपोभूमि है। इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थल में 77 मीटर उंचे जैतखाम का निर्माण किया गया है।  यहां सामुदायिक भवन के भूमिपूजन समारोह में मुख्यमंत्री रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

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