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आखिर क्यों देनी पड़ रही है पाकिस्तान को BRICS घोषणापत्र पर सफाई?

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नई दिल्ली  : आतंकवाद का पनाहगाह पाकिस्तान लगातार वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है। अब उसके सबसे करीबी दोस्त चीन ने भी उसका साथ छोड़ने का मन बना लिया है। ब्रिक्स घोषणा पत्र में पाकिस्तानी आतंकियों का नाम शामिल किया गया, जिसका चीन समेत सभी सदस्य देशों को समर्थन करना पड़ा।

इसमें कहा गया कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, आतंकवाद प्रयोजित करने और समर्थन करने वालों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। आतंकवाद से लड़ना किसी भी राष्ट्र का अहम कर्तव्य है। हालांकि पाकिस्तान ने सफाई दी कि उसकी धरती पर आतंकियों के लिए कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है।

इस घोषणा पत्र से पाकिस्तान बुरी तरह तिलमिलाया हुआ है। जबकि इस घोषणा पत्र में सीधे तौर पर उसका नाम नहीं शामिल किया गया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर आतंकवाद के खिलाफ ब्रिक्स घोषणा पत्र से पाकिस्तान इतना बुरी तरह से तिलमिलाया क्यों हुआ है?

उसकी यह बौखलाहट से साफ है कि पाकिस्तान इस बात को मानता है कि ब्रिक्स घोषणा पत्र उसके खिलाफ है। यही वजह है कि पाकिस्तान ने इस घोषणा पत्र को खारिज किया है। मालूम हो कि चीन में आयोजित ब्रिक्स समिट के दोनों दिन पीएम मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया, जबकि समिट शुरू होने से पहले चीन ने कहा था कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर जिक्र नहीं होगा, लेकिन पीएम मोदी के सामने चीन की एक ना चली।

घोषणा पत्र में कहा गया कि आतंकवाद को रोकने और इसके खिलाफ लड़ाई में राष्ट्र को अहम भूमिका निभानी चाहिए. साथ ही जोर दिया गया कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धातों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग विकसित करने की जरूरत है। इसमें पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का नाम भी शामिल किया गया।

इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी आतंकवाद पनाह देने को लेकर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना कर चुके हैं। इसको लेकर पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में खटास भी आ गई है। वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का लगातार अलग-थलग पड़ना भारत की बड़ी जीत मानी जा रही है।

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