लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

साथ-साथ नहीं बह सकता खून और पानी

NULL

2016 में उड़ी आर्मी कैम्प पर आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंजाब की धरती पर खड़े होकर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया था कि या तो पाकिस्तान आतंक का खात्मा करे अन्यथा फिर सिंधू नदी जल समझौते से हाथ धोना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि खून और पानी दोनों एक साथ नहीं बह सकते। प्रधानमंत्री ने एक दिन के जम्मू-कश्मीर दौरे के दौरान राज्य को कई उपहार दिए। उन्होंने श्रीनगर में 330 मेगावाट का किशन गंगा हाइड्रोपावर स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही पकुलदर पावर प्रोजैक्ट और जम्मू-कश्मीर में रिंग रोड की आधारशिला रखी। इन योजनाओं को भारत की पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। दोनों ही परियोजनाएं सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से किशन गंगा परियोजना ऐसी परियोजना है जिससे पाकिस्तान घुटने टेकने को मजबूर हो जाएगा। विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था।

19 सितम्बर 1960 में कराची में दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों ने सिंधू नदी जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के मुताबिक भारत अपने हिस्से के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेगा जिससे पाकिस्तान के लिए परेशानी पैदा हो सकती है। भारत में सिंधू जल नदी का काफी पानी व्यर्थ में चला जाता रहा। पाकिस्तान में पिछले कुछ वर्षों से पानी का मुद्दा अहम रहा है। इसके साथ ही 2011 में युवा यूनाइटेड स्टेट सीनेट कमेटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत भविष्य में बिजली परियोजनाओं के जरिये पाकिस्तान की जीवनदायिनी सिंधू नदी के पानी को नियंत्रित कर सकता है। किशन गंगा परियोजना के उद्घाटन के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में पाकिस्तान को अब पानी की कमी से जूझना पड़ेगा। हालांकि इस परियोजना की स्वीकृति तो कई वर्ष पहले मिल गई थी, लेकिन कुछ कारणों से काम शुरू नहीं हो सका था। झेलम नदी की सहायक किशन गंगा नदी पर विद्यमान बांध भारतीय इंजीनियरों ने परिस्थितियों से लड़कर बनाया है।

2005-06 को जब भारत ने किशन गंगा जल विद्युत परियोजना की परिकल्पना की थी तब से ही पाकिस्तान ने सिंधू नदी जल संधि 1960 के उल्लंघन का आरोप लगाकर विरोध करना शुरू कर दिया था। 2010 में हेग (नीदरलैंड) स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में इसके विरोध में अपील दायर कर अड़ंगा लगाने की कोशिश की परन्तु 20 दिसम्बर 2013 को न्यायालय ने पाकिस्तान के आरोपों को बेबुनियाद मानते हुए भारत को परियोजना के अंतर्गत काम चालू रखने की अनुमति दे दी थी। सितम्बर 2016 में फिर से पाकिस्तान ने परियोजना का काम रोकने के लिए विश्व बैंक का रुख किया और नवम्बर में अपने गलत इरादों को अमलीजामा पहनाते हुए बांध के निकट गोले भी दागे थे।

अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रो-ए​क्टिव गवर्नेंस एण्ड टाइमली इम्पलीटेशन की वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्य सचिव से किशन गंगा परियोजना पर चल रहे कार्य की प्रगति की समीक्षा की थी और रणनीति बनाकर परियोजना का काम पूरा करने पर जोर दिया। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधू जल संधि के अनुसार हिमालय क्षेत्र की 6 प्रमुख नदियों में से 3 सिंधू, झेलम और चिनाब के पानी के प्रयोग का हक पाकिस्तान और 3 नदियों सतलुज, रावी और व्यास के प्रयोग का हक भारत को दिया गया था। किशन गंगा परियोजना झेलम की सहायक नदी पर स्थित रन-ऑफ द रिवर प्रोजैक्ट है जिसकी अनुमति इस संधि में दी गई है। किशन गंगा परियोजना का न केवल रणनीतिक महत्व है ब​ल्कि जम्मू-कश्मीर की खुशहाली के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगी। इस परियोजना से राज्य को 12 फीसदी बिजली मिलेगी आैर राज्य का अंधेरा दूर होगा और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर, का​रगिल और लेह के बीच पूरा साल सड़क सम्पर्क बनाए रखने के लिए एशिया की सबसे बड़ी सुरंग का शिलान्यास भी किया और अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया।

प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में मोहब्बत का पैगाम भी दिया और गुमराह युवाओं को मुख्यधारा में लौटने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा कि हर पत्थर, हर हथियार उनके राज्य जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करता है, सभी समस्याओं और मतभेदों का बस एक ही समाधान है विकास। रमजान के दिनों में प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर जाकर शांति और विकास का संदेश दिया है। राज्य का विकास होगा तो युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि विकास के अवरुद्ध होने से कश्मीरी युवा बेरोजगार हैं और इस स्थिति का लाभ उठाकर अलगाववादियों ने उनके हाथों में पत्थर पकड़वा दिए और उन्हें दिहाड़ीदार पत्थरबाज बना दिया। अब जम्मू-कश्मीर पुलिस जल्द ही 5 हजार युवाओं की भर्ती प्रक्रिया पूरी करने वाली है। युवाओं के हाथों में ज्वाइनिंग लैटर होंगे तो वे पत्थरबाज नहीं बनेंगे। किशन गंगा प​रियोजना तो भारत की पाक पर कूटनीतिक जीत है।

हमारी मुख्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 − 11 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।