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छुरी तो कांग्रेस की गर्दन पर चली है

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जब तक इस भारत भूमि पर गौहत्या जारी रहेगी, हमारा देश अशांत रहेगा। इसकी अशांति स्वप्न में भी दूर नहीं हो सकती क्योंकि इस राष्ट्र के लोगों को पता ही नहीं कि एक अकेली गाय का आर्तनाद सौ-सौ योजन तक भूमि को श्मशान बना देने में सक्षम है। महात्मा गांधी का नाम लेकर हर दो अक्तूबर और 30 जनवरी को राजघाट पर बापू के नाम पर ढोंग करने वाले लोग चाहते तो उनका स्वप्न पूरा कर सकते थे लेकिन तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के चलते उन्होंने ऐसा नहीं किया। बापू ने कहा था-गौवध को रोकने का प्रश्र मेरी नजर में भारत की स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है।

केन्द्र सरकार के पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के बाद विवाद पैदा हो गया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के जारी किए द प्रीवेशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स नियम 2017 के गजट नोटिफिकेशन को लेकर केरल और कुछ दक्षिणी राज्यों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है। इस नियम के जरिये केन्द्र सरकार ने बूचडख़ानों के लिए मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी है। सरकार का तर्क है कि बाजार से जानवर खरीदने औैर बेचने वालों को अब यह बताना होगा कि जानवर को कत्ल करने के लिए नहीं खरीदा जा रहा। केरल में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीफ बैन के विरोध में बीफ पार्टी का आयोजन किया और उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर डाला। केरल विद कांग्रेस नाम के एक ट्विटर हैंडल से कुछ तस्वीरें भी री-ट्वीट की गई हैं।

जिन्हें देखकर मैं खुद हैरान रह गया। कांग्रेस कहां से कहां पहुंच गई है। कभी कांग्रेस गाय-बछड़ा चुनाव चिन्ह पर वोट मांगती थी। गाय-बछड़ा चुनाव चिन्ह इतना लोकप्रिय था कि लोग कांग्रेस को ही वोट डालते थे लेकिन आज के यूथ कांग्रेसी गाय काटकर वोट बैंक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ये कैसे गांधीवादी हैं जो गाय काटकर खा रहे हैं। कांग्रेस का चुनाव चिन्ह दो बैलों की जोड़ी भी रहा। उसके सहारे भी वह सत्ता में रही। कांग्रेसियों ने छुरी गाय की गर्दन पर तो चलाई ही, छुरी कांग्रेस की गर्दन भर भी चली है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए ट्वीट किया है ”जो कुछ केरल में हुआ वो मुझे व कांग्रेस पार्टी को बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। यह विचारहीन और बर्बर है, मैं इस घटना की कड़ी निंदा करता हूं।”कांग्रेस उपाध्यक्ष का बयान स्वागत योग्य है। कांग्रेस ने बीफ पार्टी करने वाले नेताओं को पार्टी से निलम्बित कर दिया है। केरल पुलिस ने फिलहाल यूथ कांग्रेस के नेताओं के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। मद्रास के एक कालेज में भी बीफ फेयर का आयोजन किया गया। यह कैसी सियासत है। यह मुद्दा सिर्फ गाय काटने का नहीं है, बल्कि देश के करोड़ों हिन्दुओं की भावनाओं को चुनौती देना है। कांग्रेस ने केरल के यूथ कांग्रेसी नेताओं को पार्टी से बाहर कर सही कदम उठाया है।

भारतीय संविधान के दिशा-निर्देशक सिद्धांतों में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि देश में कृषि और पशुधन की वृद्धि के लिए आधुनिकतम वैज्ञानिक उपायों को अपनाते हुए गाय व बछड़े के वध को प्रतिबंधित करते हुए अन्य दुधारू और माल ढोने वाले पशुओं के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाना चाहिए तो स्वतंत्र भारत में गौवध का सवाल ही कहां पैदा हो सकता है। साथ ही इसके मांस भक्षण का मुद्दा किस प्रकार उठ सकता है मगर इस मुद्दे पर जिस तरह से राजनीति की जा रही है वह केवल उस सच को नकारने की कोशिश है जिसके प्रतिबिम्ब हमें सिंधू घाटी की सभ्यता से लेकर आज तक भारत के जीवन के सत्य को चीख-चीख कर बताते रहे हैं। 1965 के अंत में स्वर्गीय इंदिरा गांधी के शासनकाल में भारत भर से संतों और साधुओं ने संसद को घेर लिया था तब साधुओं के आंदोलन को कुचलने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने पुलिस को गोली चलाने के आदेश दिए थे। फायरिंग में कई संतों की मौत हो गई थी।

यह आंदोलन गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए किया जा रहा था। साधुओं के आंदोलन पर गोली चलाने की सजा भारत की संसद ने तब गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा को सुना दी थी। उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। यह आजाद भारत में इस देश की अस्मिता और इसकी पहचान का प्रबल आंदोलन था, जिसकी जड़ पंजाब के नामधारी सिखों के कूका आंदोलन और आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद के गौरक्षा आंदोलन से जुड़ी हुई थीं। गौशालाएं स्थापित करने की परम्परा स्वामी दयानंद ने ही स्थापित की थी। आजकल भारत में गौ हत्या की इजाजत की वकालत कुछ लोग कर रहे हैं और इसे लोगों का भोजन बनाने की हिमाकत कर सकते हैं जैसा कि केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किया है।

क्या ऐसे लोग यह बता सकते हैं कि मां के दूध के बाद केवल गाय के दूध को ही वैज्ञानिक उसका स्थानापन्न क्यों मानते हैं। किसी और दूधारू पशु में मातृत्व के पूरक अंश क्यों नहीं पाए जाते। जब प्रकृति ने स्वयं गाय को यह स्थान प्रदान किया है तो फिर उसकी हत्या का समर्थन क्यों किया जा रहा है। गौवंश संवर्धन देश की जरूरत है। कलियुग में जब बेटे अपनी मां की हत्या तक कर देते हैं तो उनके लिए गऊ माता का महत्व क्या होगा! जरूरत है गाय के महत्व को समझने की। गौ हत्या जारी रही तो यह देश के लिए घातक होगा। गाय पर सियासत नहीं हो। कांग्रेस भी संभल कर चले अन्यथा लोकसभा में उसकी संख्या 44 से घटकर 4 होने में समय नहीं लगेगा।

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