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मोदी सरकार के चार वर्ष

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केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने चार वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। कौन जानता था कि प्रारंभिक जीवन में साधू बनने की इच्छा रखने वाले नरेन्द्र मोदी एक दिन भारत का प्रधानमत्री बनेंगे। यह भी संयोग ही है कि स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेन्द्र था। आज पूरी दुनिया में नरेन्द्र मोदी की गणना वैश्विक नेताओं में होती है, जहां भी वह जाते हैं लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है। लोग उनकी झलक पाने को बेताब रहते हैं। वह मित्र देशों आैर प्रतिद्वंद्वी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से आंख से आंख मिलाकर बात करते हैं। अपनी ऊर्जा, त्याग आैर कर्मठता के दम पर प्रधानमंत्री का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि उनके समकक्ष किसी दूसरे दलों का कोई नेता उनकी टक्कर का नहीं है। उनके चलते ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को सम्मान के साथ एक नई पहचान मिली है। जिस पर हर भारतवासी गर्व कर सकता है।

चार वर्ष पूरे होने पर जाहिर है कि सरकार के कामकाज की समीक्षा भी होगी। लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि हर भारतवासी को अपने दृष्टिकोण से सरकार को परखने का हक है लेकिन आलोचना स्वस्थ होनी चाहिए। सरकार ‘48 साल बनाम 48 महीने’ के नारे के साथ जनता के बीच उतरी है। मैं समझता हूं कि ‘48 साल बनाम 48 महीने’ का नारा बुलंद करना पूरी तरह उचित है। ऐसा नहीं है कि आजादी के बाद देश का विकास नहीं हुआ। पूर्ववर्ती केन्द्र सरकारों ने अपने-अपने विजन के साथ देश का विकास किया लेकिन पिछले चार वर्षों में जो कुछ हुआ, वह नया था जिसने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था का चरित्र बदल डाला बल्कि लोगों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की आदत भी डाली। नोटबंदी और जीएसटी के साहसिक निर्णय कभी भी भुलाए नहीं जा सकते।

लोगों को परेशानी हुई, लोग कतारों में लगने को मजबूर हुए, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री के निर्णय को खुले दिल से स्वीकार किया और उन्हें समर्थन भी दिया। जीएसटी लागू होने के बाद आई शुरूआती उलझनें अब समाप्त हो चुकी हैं। इन फैसलों से डिजिटल पेमेंट आैर आनलाइन लेन-देन का प्रचलन बढ़ा है। भारत कैशलैस अर्थव्यवस्था की आेर बढ़ रहा है, इससे कालेधन पर भी काफी हद तक अंकुश लगा है। देश को पूर्ण रूप से डिजिटल बनाने की दिशा में पहली बार नियोजित तरीके से काम हुआ। अर्थव्यवस्था का अब नया स्वरूप सामने है। यह परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि लोगों का भरोसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कायम है। मोदी सरकार ने बेनामी सम्पत्ति और बेनामी लेन-देन पर शिकंजा कसा और अब तक करोड़ों की बेनामी सम्पत्तियां जब्त की जा चुकी हैं। भारतीय भाजपा और कांग्रेस शासन में जब भी तुलना करते हैं तो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा के शासन को दागरहित पाते हैं तो फिर सरकार अपना दामन साफ रखने पर अपनी पीठ क्यों न थपथपाए।

सरकार की उज्ज्वला योजना, गांव-गांव बिजली के बाद अब घर-घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य, हर दिन 50 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य जनता के सामने है। सरकार गरीब परिवारों को गैस कनैक्शन देकर उनके जीवन को उज्ज्वल बना रही है। चार कराेड़ गरीब परिवारों को गैस कनैक्शन और 5 करोड़ गरीब परिवारों तक गैस पहुंचाना बाकी है। इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है। बुलेट ट्रेन की विपक्ष लाख आलोचना करे लेकिन देश को तेज गति, तेज प्रगति और तेज टैक्नोलाजी उपलब्ध कराने के लिए ऐसी परियोजनाअाें की जरूरत है। देशभर में सड़क बनाने के काम में तेजी एक बड़ी उपलब्धि है। सड़क परिवहन मंत्रालय हर रोज 27 किलोमीटर सड़क बना रहा है, इसको 50 किलोमीटर तक पहुंचाना है। नए एक्सप्रैस-वे, नई सड़कें, नए पुल देखकर हर कसी को अहसास हो रहा है कि भारत बदल रहा है।

पहली बार यह दिखाई दिया कि अगर सरकार चाहे तो कल्याणकारी योजनाएं घर-घर और हर हाथ पहुंचाई जा सकती हैं। ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजनाएं जमीनी स्तर पर दिखाई दीं। छोटे शहरों को जोड़ने वाली रीजनल क्नैक्टिविटी स्कीम ‘उड़ान’ से कई छोटे हवाई अड्डों का हुलिया बदलने की भूमिका तैयार हो चुकी है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सरकार में किसी भी तरह की नीतिगत अपंगता नज़र नहीं आई। जो भी किया साहस और दृढ़संकल्प के साथ किया। यही कारण रहा कि भाजपा चुनावों में एक के बाद एक सफलता प्राप्त कर पाई और अब 21 राज्यों में उसकी सरकार है। महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार ने तीन तलाक जैसे उन संवेदनशील मुद्दों को छूने से परहेज नहीं किया जो मुस्लिम महिलाओं को दोयम दर्जा देते थे। रोजगार के मुद्दे पर, कृषि को फायदे का व्यवसाय बनाने, किसानों को समस्याओं से निजात दिलाने, पैट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मोर्चे पर सरकार के लिए चुनौतियां बरकरार हैं। स्वास्थ्य आैर शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार के सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं।

दस करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दिलाने वाली ‘आयुष्मान भारत’ योजना को लागू करने का प्रारूप तैयार हो चुका है। किसी भी सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं होती जो वर्षों से चली आ रही समस्याओं को पल भर में या चार वर्ष में दूर कर दे। कुछ योजनाएं, जैसे स्टार्टअप योजना, शुरू तो हुईं लेकिन इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। कुछ क्षेत्रों में हताशा का वातावरण जरूर है। इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेन्द्र मोदी सरकार को बहुत काम करना है। योजनाओं की सफलता-असफलता तो चलती रहती है लेकिन एक बात तय है कि सरकार की दिशा और मंशा सही है तो मंजिल मिल ही जाएगी। नरेन्द्र मोदी ने जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित करने के लिए लोकप्रिय संवाद माध्यम रेडियो का सहारा ​िलया है, इससे पहले ऐसा​ किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। भारतीय जनमानस प्रधानमंत्री के विजन का कायल है। सरकार और संगठन ​जनता की अदालत में हैं, जनता खुद इस बात को परखे कि ‘48 साल बनाम 48 महीने’ में उसे क्या परिवर्तन देखने को मिला है। सच को तो स्वीकार करना ही पड़ेगा।

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