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हिन्दुस्तान, हिन्दुत्व और भागवत

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हिन्दू और हिन्दुत्व भारत की शान हैं। जब तक हिन्दुस्तान है हिन्दुत्व हमारे देश के ताज में एक नगीने की तरह चमकता रहेगा। हिन्दुस्तान में हिन्दुओं की आवाज दबाई नहीं जा सकती लेकिन वोटों के चक्कर में हमारे प्रजातंत्र में पिछले दिनों राजनीतिक दल मुसलमानों को गले लगाने लगे थे। किसी भी जाति-पाति को गले लगाना बुरी बात नहीं है लेकिन मन्शा इंसानियत की है तो ठीक है। अगर यह सब कुछ सियासत के लिए किया जा रहा है तो हम इसका विरोध करते हैं। पिछले दिनों कोलकाता में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जब यह कहा कि हिन्दू और मुसलमान आपसी सहमती से देश को श्रेष्ठ तो बना सकते हैं परंतु अगर दुनिया में भारत को नंबर वन बनना है तो यह हिन्दुत्व ही है।

भागवत जी के इस बयान को राजनीतिक पंडितों ने तोलना शुरू कर दिया है। अपने-अपने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं, क्योंकि राजनीतिक विश्लेषकों का काम ही यही है। वैसे भी हिन्दू और मुसलमान के चक्कर में हमारे देश में कभी सहिष्णुता का शोर पड़ता है तो कभी असहिष्णुता को लेकर मारा-मारी का माहौल बन जाता है। जमीन पर कोई नहीं देखता है और एक आम आदमी की भावनाओं को पांव तले रौंदते हुए यह मुद्दा बॉलीवुड तक पहुंच जाता है। राजनीतिक लोग इसे लेकर अपने बयानों के बाण चलाने लगते हैं। नतीजा माहौल खराब होता है। जब ऐसा होता है तो फिर राजनीतिक रोटियां सेकने का वक्त आ जाता है। इसीलिए हमें इस बात की खुशी है कि देश में आरएसएस जैसे संगठन हैं, जो विशुद्ध हिन्दुत्व की बात करते हैं और यही हिन्दुस्तान की शान है।

भागवत जी का यह कहना कि कभी मुसलमान भी हिन्दू हुआ करते थे परंतु अब मुसलमान बन गए हैं और मुसलमान ही रहेंगे, एकदम सही है। उन्होंने हिन्दुत्व और मुस्लिम के बीच प्यार-मोहब्बत को लेकर, सद्भाव को लेकर उदाहरण देते हुए कहा कि कव्वाली गाते हैं लेकिन हमें भजन गाने की आदत नहीं भूली। सच बात तो यह है कि आज भारत में साम्प्रदायिकता को लेकर राजनीतिक खेल खेले जाते हैं। भारत की समस्या यही है कि भारत में भारतीयता नहीं है। इसीलिए हम भारत को महान बनाने की बात कहते हैं।

साम्प्रदायिकता को लेकर धर्म-निरपेक्षता का गुणगान करने वाले लोगों ने कभी भारतीय जनता पार्टी को दंगे वाली पार्टी कहना शुरू कर दिया था। काठ की हांडी का यह खेल कई राजनीतिक दलों को रास आया लेकिन वक्त आने पर अब सब कुछ ठीक हो गया। तभी हम कहते हैं कि अब इस हिन्दुत्व का हिसाब-किताब अब जम्मू-कश्मीर में भी सैट कर दिया जाना चाहिए। देश का ही एक ऐसा राज्य जहां हिन्दू जमीन नहीं खरीद सकते, प्रॉपर्टी नहीं बना सकते लेकिन वहां रहने वाले लोगों को पूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। अकेले जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा दिया जा रहा है तो सवाल उठना स्वाभाविक है। यह इसलिए भी प्रासांगिक है कि इसी जम्मू-कश्मीर की जमीन पर आतंकवाद पनप रहा है और दु:ख इस बात का है इसमें इसी जम्मू-कश्मीर के वो बाशिंदे हैं जो खुद को शान से मुसलमान तो कहते हैं परंतु हिन्दुस्तानी नहीं कहते। मस्जिद में हर जुम्मे को जाते हैं और जब बाहर निकलते हैं तो हाथों में पत्थर लेकर सुरक्षाबलों पर हमला करना नहीं भूलते। माफ करना यह गुनाह जम्मू-कश्मीर में एक परंपरा बन गया है, जिसे पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की शह पर खेला जा रहा है। यह बात छेड़ कर हम किसी राजनीतिक बहस को जन्म नहीं देना चाहते बल्कि विनम्रता से निवेदन करना चाहते हैं कि जिस महबूबा को जम्मू-कश्मीर का तख्त भाजपा ने सौंप रखा है, समय-समय पर भारतीयता और हिन्दुत्व के बारे में चिंतन करना तो बनता है।

माफ करना पत्थरबाजों द्वारा जवानों पर हमले करना और कश्मीरियों को डराना-धमकाना जम्मू-कश्मीर की धरती पर अब बंद होना चाहिए। हालांकि अनेक नामी-गिरामी मुस्लिम आतंकवादी मारे जा चुके हैं परंतु हमें उस जहरीली विचारधारा को खत्म करना है जो युवकों को आतंकवाद की तरफ धकेल रही है। इसीलिए हम आरएसएस प्रमुख भागवत जी की बात का समर्थन करते हैं कि उन्होंने बड़ी बेबाक बात कही है और उसका मतलब सीधा है कि हिन्दुस्तान में रहने वाला हर कोई नागरिक हिन्दुस्तानी पहले है और उसकी कोई जाति-पाति उसके घर पर तो हो सकती है लेकिन वह देश का नागरिक है और भारतीय ही कहलाएगा।

वैसे भी हिन्दुओं को वोटों के चक्कर में अगर राजनीतिक चश्मा पहनकर कोई नीचे लगाने की कोशिश करेगा तो इसका विरोध किया ही जाना चाहिए। इसीलिए हम भागवत जी के बेबाक बोल का समर्थन करते हैं। सच बात तो यह है कि मोदी सरकार के अनेक नेता भी ऐसा ही समझते हैं परंतु देश में साम्प्रदायिक सद्भाव हमेशा रहना चाहिए। यही भारत की पहचान है। अनेकता में एकता ही भारत की शान है। हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई हर कोई भारतीय है। किसी मजहब को भारतीयता से नहीं जोडऩा चाहिए। जब हमने आजादी हासिल की थी तो अनेकता में एकता ही हमारा मूल मंत्र था और आज भी यही रहना चाहिए तभी हिन्दुस्तान है, जो हमारे दिल की धड़कन है। इसीलिए हिन्दुत्व को कोटि-कोटि नमन है और भागवत जी की भावनाओं और बेबाक वचनों को हम सैल्यूट करते हैं।

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