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व्हाट्सएप पर हो, तो जरा सम्भलकर…

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आज का जमाना सूचना और टैक्नोलॉजी का है। कल तक जो दुनियादारी टेलीग्राम और टेलीफोन तक सिमटी हुई थी वह आज मोबाइल के जरिए फेसबुक, व्हाट्सएप तक पहुंच चुकी है। एक सैकेंड में आदमी दुनिया के छोर से जुड़ा रह सकता है। हमारे दैनिक जीवन में आज मोबाइल और व्हाट्सएप इतने जरूरी हो गए हैं कि इसके बगैर इंसान खुद को अधूरा समझता है। हम यहां स्पष्ट करना चाहते हैं कि सुविधाएं एक मर्यादा और एक सीमा में ही होनी चाहिएं। इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किसी को टारगेट बनाकर नहीं किया जाना चाहिए। लोगों ने अपने-अपने ग्रुप व्हाट्सएप पर बना रखे हैं। यहां तक कि फैमिली ग्रुप भी हैं, जिसका बहुत फायदा भी है, रोमांचक भी है। जैसे मेरा बहुत बड़ा परिवार है। आधे अमेरिका, लंदन, जयपुर, दिल्ली, जालंधर में हैं। अगर सबको कॉल करती हूं तो मुश्किल है। सुबह एक ही बार में सबसे राम-राम हो जाती है और अगर किसी ने शक्ल देखनी हो तो फेस टाइम कॉल है। कोई चीज दिखानी हो तो वीडियो आ जाती है। मेरी भांजी ने अमेरिका से एक भारतीय पारम्परिक ड्रैस की डिमांड की तो उसको मैंने व्हाट्सएप पर पसंद करवाया। अभी मेरे बेटा-बहू बाहर थे तो उन्होंने मेरा गिफ्ट पर्स मुझे व्हाट्सएप से पसंद करवाया। वो बच्चे मेरे पास छोड़कर गए, बार-बार उन्हें वीडियो फेस टाइम व्हाट्सएप पर फोटो भेज रही थी। बच्चे भी ठीक हैं तो वह भी इंज्वाय कर पा रहे थे और इस तरह अपने विचार एक-दूसरे से शेयर करते हैं जो सोशल साइट्स पर खूब वायरल होते रहते हैं, जैसे हर सिक्के के दो पहलू हैं अच्छा-बुरा। इस तरह व्हाट्सएप की अच्छाइयां-बुराइयां हैं लेकिन पायलटों के स्तर पर अगर लोग अपना व्हाट्सएप गु्रप बना लें और फिर अपने अधिकारियों के खिलाफ गंदी, अश्लील और भद्दी टिप्पणियां इस पर करने लग जाएं तो इसे क्या कहेंगे? इंडिगो, जैट एयरवेज, स्पाइस जैट और गो एयर के 34 से ज्यादा पायलटों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर पिछले दिनों बेहद गंदे कमेंट्स किए।

आखिरकार, विमानन मुख्यालय ने इसका गंभीर नोटिस लिया। सब कुछ व्हाट्सएप पर पड़ा था और डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन) ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी। इसका परिणाम यह निकला कि अब इन सभी पायलटों पर शिकंजा कसा जाने लगा तो बात उनके घर तक भी पहुंची और सभी ने अपनी-अपनी एयरलाइन से लिखित माफी मांगते हुए अपनी इस गलती को माना और भविष्य में ऐसा न करने की बात कही। मामला क्योंकि पुलिस में रजिस्टर्ड हो चुका था तो यह अखबारों की सुर्खियां बना और चैनलों पर भी प्रमुखता से दिखाया गया। खैर, फिर भी डीजीसीए ने इन पायलटों को माफ कर दिया और पुलिस को दी गई अपनी शिकायत वापस भी ले ली, परंतु यह मानना पड़ेगा कि सोशल साइट्स पर तरह-तरह के ऐसे व्हाट्सएप ग्रुपों में ऐसे-ऐसे कमेंट्स शेयर हो रहे हैं जो इंसान को एक-दूसरे से जोड़ नहीं रहे बल्कि तोड़ रहे हैं। टैक्रोलॉजी का सही लाभ उठाया जाना चाहिए, लेकिन सुविधाओं के इस युग में इसका गलत इस्तेमाल हम सब के लिए घातक भी हो सकता है। मैंने इसी कॉलम में सेल्फी के जरिए फोटो खींचने को लेकर हुई दुर्घटनाओं का जिक्र भी किया था। कहने का मतलब यह है कि तकनीक का लाभ एक मर्यादा के तहत ही लिया जाना चाहिए। अब जबकि भारत डिजिटल हो रहा है तो हमें इसका दुरुपयोग रोकने के लिए कुछ न कुछ करना होगा तभी मर्यादाएं जीवित रह सकती हैं। सोशल साइट्स पर हमारे यूथ ने मर्यादाएं लांघते हुए जिस तरह से कमेंट्स शेयर किए हैं उसके परिणाम अच्छे नहीं निकले। दु:ख इस बात का है कि नकारात्मकता भरी बातें बहुत जल्दी वायरल होती हैं। परिवारों के सदस्य हों या समाज के अन्य लोग, कई लोग बड़ी शान से भद्दे शब्दों का सोशल साइट्स पर इस्तेमाल करते हैं जोकि बंद होना चाहिए। हम एक बार फिर से यही कहना चाहते हैं कि जीवन भी मर्यादा में ही अच्छा लगता है और सुविधाओं के मामले में हमारा आचरण अच्छा ही होना चाहिए तभी तकनीक का लाभ लिया जा सकेगा।

यही नहीं इसका दूसरा पहलू यह भी है कि कई बार बहुत अच्छी सूचना भी मिलती है, एक मैसेज जिसको पत्र, मेल द्वारा देर लगती थी अब एक सैकेंड में पहुंचता है। व्हाट्सएप कॉल भी फ्री है। पहले तो यह था कि व्हाट्सएप, एसएमएस कोई इस तरह ट्रेस नहीं कर सकता था, परन्तु जल्दी ही साइबर क्राइम वाले इसे भी पकड़ रहे हैं। अब यह सुना है कि पता लगा लेते हैं, किसने मैसेज शुरू किया। 1-2 केस भी हुए हैं। सो, आज अगर इस पर क्राइम करने की सोचें तो सोच लें साइबर क्राइम करने वालों का बुरा हाल होगा। जहां तक मैं समझती हूं यूथ गलत ट्रैक पर भी सोशल मीडिया द्वारा जा रहा है। कश्मीर समस्या सोशल मीडिया पर पनप रही है, कई लोग गलत वीडियो बनाकर व्हाट्सएप पर डाल देते हैं, लड़कियों को बदनाम भी करते हैं। समय आ गया है जब सोशल मीडिया स्पेशली व्हाट्सएप स्नैप चैट आदि पर लगाम कसनी चाहिए। अगर यह मिसयूज होता है तो इसके नियम और कानून सख्ती से लागू होने चाहिएं। उसका सकारात्मक प्रयोग हो या कोई सही जानकारी हो तो ठीक, अगर भड़काऊ या बदनाम करने के लिए हो तो उस व्यक्ति को पकड़ कर एक्शन लेना चाहिए।

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