बुलंद इमारत के निर्माण के लिए जरूरी यह है कि उसकी बुनियाद भी मजबूत होनी चाहिए। बुनियाद अर्थात् आधार जितना मजबूत होगा भवन उतना ही सुदृढ़ होगा। देश की अर्थव्यवस्था को अगर रफ्तार देनी है तो रुपया-पैसा यानी कि धन व्यवस्था का आधार मजबूत होना चाहिए। पैसे का प्रवाह बना रहना चाहिए, जमाखोरी नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा बैंकों और उद्योगों के बीच वित्तीय व्यवस्था सुदृढ़ होने के साथ-साथ विश्वास भी बना रहना चाहिए। यकीनन एक आम आदमी, बैंक और सरकारी व्यवस्था के बीच अगर आधार कार्ड जरूरी कर दिया जाए तो सचमुच देश की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया को टक्कर देगी। मोदी सरकार ने इसीलिए आधार कार्ड की अनिवार्यता जीवन के हर क्षेत्र में सुनिश्चित कर दी है। आधार कार्ड के दम पर आपकी पहचान बैंक में हो सकती है वरना कल तक तो सरकारी सिस्टम यानी कि आयकर विभाग या अन्य जरूरी सरकारी विभागों में अपनी पहचान पैन कार्ड या ड्राइविंग लाइसैंस से सुनिश्चित की जा सकती थी। इसके अलावा पासपोर्ट भी आपकी पहचान सुनिश्चित करता था परन्तु अब इन सबकी बजाय बैंकों से अगर किसी व्यक्ति का आधार कार्ड लिंक किया जा रहा है तो यह एक अच्छी व्यवस्था है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। नई व्यवस्था के मुताबिक अब बैंक में खाता खोलने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। इतना ही नहीं अगर आप 50 हजार रुपए या इससे ज्यादा का लेनदेन करते हैं तो भी आधार कार्ड जरूरी होगा।
कल तक जब कैशलैस इकॉनोमी नहीं थी तो सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ की फितरत पुरानी थी। इसके अलावा लोगों में विशेष रूप से अवैध धंधा कर काला धन जमा करने वाले और इसे देश से बाहर ले जाने वालों को बड़े नोटों की जमाखोरी का शौक था। अब उन पर रोक लग जाएगी। प्रिवैंशन ऑफ मनी लांङ्क्षड्रग एक्ट 2005 में संशोधन किए गए हैं और इसके बाद नोटिफिकेशन कर दिया गया है जिसके तहत सरकार ने लोगों को कहा है कि अगर आपने अपने बैंक अकाऊंट को आधार कार्ड से लिंक नहीं किया तो 31 दिसम्बर तक करवा लो। इसी तरह औद्योगिक धंधे के लिए पैन कार्ड के साथ-साथ आधार कार्ड की अनिवार्यता को कानून बना दिया गया है। दरअसल देश में एक ऐसा तंत्र स्थापित हो चुका है जो कि अपने ब्लैक मनी के गोरखधंधे में किसी का भी बैंक खाता इस्तेमाल कर लेता था। नोटबंदी के दौरान ऐसे लोग बेनकाब हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत से बाहर विदेशों में गया हुआ काला धन वापिस लाए जाने को लेकर सक्रिय हैं। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेतली से वह बराबर फीडबैक लेते रहे कि ऐसा रास्ता ढूंढा जाए कि कोई किसी को धोखा न दे सके और केवल वही लोग काबू किए जाएं जो ये ब्लैक मनी का गोरखधंधा करते हैं। अब अगर किसी के खाते में बिना किसी हिसाब-किताब का पैसा आता है तो सरकार उसको आसानी से ट्रैक कर सकेगी।मनी लैंडिंग के नियम यद्यपि सख्त हैं परन्तु अब सरकार ने इसमें संशोधन करके इसे और सख्त बना दिया है। सरकार ने जब देखा कि ब्लैक मनी के लिए जब उसने मौका दिया तो भी लोग अपने धंधे से बाज नहीं आए तो आखिरकार यह आधार कार्ड का बैंक लैंडिंग एक ऐसा ब्रह्मास्त्र है जिससे ब्लैक मनी का धंधा करने वाले बच नहीं पाएंगे।
विजय माल्या, हसन अली जैसे लाखों उद्योगपति हैं जो अपना खेल सरकारी एजैंसियों को कथित रूप से धोखे में रखकर खेलते रहे हैं परन्तु अब नई व्यवस्था में ऐसे लोगों की दाल नहीं गल पाएगी। वैसे भी भारतीय रिजर्व बैंक ने पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट चलन से बाहर कर ब्लैक मनी का धंधा करने वालों को करारा झटका दिया है। कल तक अनेक लोगों को सरकारी बैंकों से लिए हुए करोड़ों, अरबों रुपए के लोन लौटाने की चिन्ता ही नहीं थी। ऐसे लाखों सफेदपोश डिफाल्टर सरकार की हिटलिस्ट में हैं। ऐसी सूरत में सरकार का यह आधार कार्ड भविष्य में सरकार को अंधेरे में रखकर लोन लेने वाले और वापस न करने वालों की गर्दन नापेगा। बताया जाता है कि लोन रिकवरी के मोर्चे पर सरकार अब फोकस कर रही है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है तो बैंकों को मजबूत करना होगा। आने वाले दिनों में इसी आधार के दम पर अर्थव्यवस्था जब शत-प्रतिशत कैशलैस हो जाएगी तो सब-कुछ सामान्य हो जाएगा। हालांकि इस कड़ी में जीएसटी भी आम आदमी के लाभ के लिए ही लागू की गई है। लेकिन आधार को जिस तरह से बैंक अकाऊंट से लिंक किया गया है वह देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को विकसित इकॉनोमी वाले देशों की पंक्ति में ला खड़ा करेगा। यहां देशवासियों को यह समझ लेना चाहिए कि इस काम को एक मिशन समझ कर आगे बढ़ाएं और सरकार को सहयोग दें। यदि लोग ईमानदारी से सरकार को सहयोग देते हैं तो सचमुच देश और भी ज्यादा खुशहाल होगा। किसी देश की खुशहाली का आधार उसकी मजबूत अर्थव्यवस्था ही है।