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सुशासन की राह पर केजरीवाल

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शासन और सुशासन ये दो ऐसे नाम हैं जिनका लोकतंत्र में सबसे ज्यादा महत्व है। सुशासन की बात करना आसान है, दावे करना उससे भी बड़ी बात परंतु निभाना सबसे कठिन बात है। आम आदमी पार्टी की सरकार अब दिल्ली में सुशासन की राह पर है। सब जानते हैं कि इस पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 67 सीटें जीतकर एक विश्व लोकतांत्रिक रिकार्ड कायम किया था। लोगों की आम आदमी पार्टी के प्रति आस्था के चलते इस छोटी पार्टी ने सत्ता का अनुभवी होने का दावा करने वालों को जिस तरीके से धूल चटाई और जिस तरह से उसकी आगे की तैयारी है वह अपने आप में रिसर्च का विषय हो रही है। लोकतंत्र की एक अपनी विशेषता है। बड़ी सफलता को ज्यादा देर रख पाना भी एक बड़ी चुनौती है। यह बात आम आदमी पार्टी पर भी लागू हुई और उस पर आंतरिक लोकतंत्र में बिखराव के आरोप भी लगे।

पार्टी उसी दिल्ली के एमसीडी में वोटरों की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाई। जिन लोगों ने उसे विधानसभा में प्रचंड बहुमत दिया, उन्हीं लोगों ने उसे एमसीडी में ठुकरा दिया लेकिन आम आदमी पार्टी ने अपनी इमेज और कार्यशैली बदलने की ठान ली है। इसीलिए वह अब ‘द्वार-द्वार सरकार’ के नारे पर चल रही है। पिछले दिनों आम आदमी पार्टी ने तमाम टकरावों के तौर-तरीकों से उभरते हुए एक नई स्कीम लागू की कि लोगों के राशन कार्ड, जाति कार्ड और अन्य पंजीकरण संबंधी सर्टिफिकेट से जुड़े मामले हों, उसके लिए दिल्ली सरकार के अधिकारी लोगों के घरों तक पहुंच कर उन्हें यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे। आम आदमी पार्टी का यह तरीका लोगों को पसंद आ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने लोकतंत्र के जमीनी धरातल पर एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है, जो अन्य पार्टियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनने जा रहा है। लोगों ने सरकार की इस योजना को सोशल साइट्स पर खूब शेयर करते हुए इसे सुशासन का नाम दिया है। इसी कड़ी में तीन दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक और जबर्दस्त स्कीम लेकर आए हैं, जिसके तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि सड़क पर कोई भी दुर्घटना होने पर प्राइवेट अस्पताल भी घायलों का मुफ्त इलाज करेंगे। इस स्कीम को नियमों के तहत आम आदमी पार्टी की सरकार अनुसंशा के लिए उपराज्यपाल के पास भेजने जा रही है।

कल तक सड़क पर दुर्घटना की सूरत में मरीज को इधर-उधर टरकाने की नीति अस्पताल वालों की चलती थी। यह पुलिस केस है कहकर घायल के परिजनों को परेशान किया जाता था, परंतु अब आप सरकार ने कहा है कि सरकार की इस योजना के तहत कोई भी ऑटो या टैक्सी घायल को तुरंत किसी भी पास के प्राइवेट अस्पताल में पहुंचाएंगे तो उन्हें इसके लिए इनाम भी मिलेगा। घायलों को उचित समय पर इलाज दिया जाना सरकार की एक मानवता है और इसी का दूसरा नाम सुशासन है। इस मामले में मेरी खुद सीएम कार्यालय से बातचीत हुई। तो वहां से भी बताया गया कि कई ऑटो और टैक्सी वालों को भी ब्रांड एंबेसडर बनाया जा रहा है ताकि घायलों का सही वक्त पर इलाज हो सके और उनकी जिंदगी बचाई जा सके। हमारा मानना है कि अपने राशनकार्ड या जाति कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाने के लिए सरकारी विभागों में फार्म जमा कराने और मोहर लगाने के लंबे तरीकों से मुक्ति का समय अब आ गया है।

आम आदमी पार्टी की सरकार ने यह कदम उठाया है। हम इसका स्वागत करते हैं। वैसे भी विकास का मतलब खाली बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करना नहीं होता, बल्कि सरकारें आम आदमी की दिक्कत को समझें, एक आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मिले इसी का नाम सुशासन है तथा 1993 के शुरूआती दिनों में भाजपा शासन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने आम आदमी को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया था कि वह विकास को समझने लगा है। हालांकि बाद में कांग्रेस सरकार के लंबे शासन के दौरान सीएम रहीं शीला दीक्षित ने भी अनेकों फ्लाई ओवर, ब्रिज और मैट्रो चालू कर लोगों को एहसास कराया कि विकास करवाना सरकारों का दायित्व है, परंतु जिस तरह से केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की इन आधारभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए उसको होने वाले कष्ट को समझा है, यह उनकी अच्छी वर्किंग स्टाइल को दर्शाता है। अब किस पार्टी के अंदर लोकतंत्र सही चल रहा है और किस पार्टी के अंदर सही नहीं चल रहा है, यह उनके निजी मामले हैं।

कौन असंतुष्ट है और कौन नहीं, कौन सा विधायक पार्टी छोड़कर कहां जा रहा है, कौन सा नेता किस नई पार्टी में जुड़ रहा है, ये सब हर पार्टी के अंदरूनी लोकतांत्रिक मामले हैं। हमें इससे कुछ नहीं लेना, लेकिन आम आदमी पार्टी दिल्ली में इस समय आम आदमी का सही प्रतिनिधित्व कर रही है, यह बात स्वीकार करने योग्य है। फिर से सरकार बनाने की कोशिश में अपने पुराने अनुभवों का दावा करना यह राजनीतिक पार्टियों की आदत है, लेकिन केजरीवाल सरकार अब जमीन पर अपनी छवि सुधारते हुए सचमुच सुशासन की राह पर आगे बढ़ रही है, इसीलिए सोशल साइट्स पर उसकी सबसे ज्यादा चर्चा है। आने वाला वक्त भविष्य में क्या तस्वीर लोकतंत्र में उभारता है यह फिलहाल कहा नहीं जा सकता लेकिन लोगों की भावनाओं को वह समझते हुए आगे बढ़ रही है, इसका दावा अब अगर आम आदमी पार्टी भी करने लगी है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं। हां, जिनका काम आलोचना करना है वो अन्य विरोधी दल हैं, वो कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी लोकप्रियता की पटरी पर रफ्तार पकडऩे लगी है।

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