उस दिन मैं अपने कार्यालय में भाजपा सुप्रीमो श्री अमित शाह जी के मिशन 350 के बारे में प्रकाशित समाचार पर नजर दौड़ा ही रहा था कि मेरे ऑफिस का एक कर्मचारी एडवांस लेने के लिए आया। मैंने उससे साधारण ढंग से पूछा, अच्छा ये बताओ अपना वोट अगले चुनाव में किसे दोगे? तो उसने कहा- मोदी को। मेरा सवाल था कि आखिर मोदी ने पिछले तीन साल में ऐसा क्या कर दिया जो तुम उन्हें वोट दोगे? तो उसने झट से जवाब दिया कि आज अमीरों की हालत आप देख ही रहे हो और मोदी जी इन लोगों से अब अच्छी तरह से निपट रहे हैं, क्योंकि ये भ्रष्टïाचारी हैं परंतु हम गरीबों के लिए वह बहुत कुछ कर रहे हैं। अपना वाउचर साइन करवाकर वह चला गया परंतु मेरे मन में उसके ये शब्द लगातार गूंजते रहे।
दरअसल मेरे कई मित्र भी इस बात को मानते हैं कि निचला और कमजोर तबका पूरी तरह से मोदी के साथ है। वे बताते हैं कि कल तक किसी मुहल्ले या गली से जब उनकी कार गुजरती थी तो रेहड़ी खोमचे वाले, प्रैस करने वाले और वहां से गुजरने वाले अन्य मजदूर लोग हमें सलाम करते थे परन्तु अब यही लोग हमें देखकर नजरें ऊंची उठाकर मानो हमें कहते हैं कि मोदी जी हमारे हैं, सिर्फ तुम अमीरों के ही नहीं हैं। यह प्रमाणित करता है कि छोटे तबके का मोदी के प्रति विश्वास किस कदर बुलंदी पर है। सोशल साइट्ïस पर भी इसीलिए लोग कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था का भले ही भट्ïठा बैठ जाए परन्तु मोदी जी अमीरों की परवाह नहीं करेंगे और वे छोटे और निचले तबके का विश्वास जीत चुके हैं जिसके दम पर भाजपा का ग्राफ टाप पर है। सोशल साइट्ïस पर किसानों के मरने, टमाटर के 80-90 रुपए किलो बिकने की चर्चा के बीच महंगाई बढऩे को लोग भले ही कोस लें पर निचले तबके का वोट बैंक मोदी के खाते में जुडऩे से इन्कार नहीं करते।
आज लोकतंत्र में जमीनी हकीकत यही है कि अगर आपकी दीवार गिर जाए और पड़ोसी का घर गिर जाए तो आपको बहुत खुशी होती है। नोटबंदी से अमीरों का नोट मिट्टïी हो गया, गरीब पांच-पांच, छह-छह घंटे लाइनों में लगा रहा परंतु उसे अपनी दिहाड़ी की चिंता नहीं अमीरों का पैसा तबाह होने से खुशी है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज की तारीख में सबसे ज्यादा वोट डालने वाला निचला तबका ही है। अमीर आदमी आज की तारीख में वोट डालता ही नहीं है और पीएम मोदी जी ने निचले तबके का विश्वास पूरी तरह से जीत लिया है और यही भारतीय जनता पार्टी की सफलता का राज है। भले ही अमीर या अन्य व्यापारी आज की तारीख में जीएसटी को लेकर जितना मर्जी चिल्ला लें लेकिन छोटा तबका सौ फीसदी इनकी इस चीखो-चिल्लाहट से एक सुकून महसूस कर रहा है तभी वह भाजपा के साथ है।
ऐसे में अगर हम वर्ष 2019 में होने वाले आम चुनावों की बात करें तो यह बात सही है कि मोदी अपराजेय हैं और उन्हें हरा पाना अब लगभग मुश्किल ही नहीं असंभव होता जा रहा है। उन्होंने लोकतंत्र में सिर उठाकर जी रहे वोटतंत्र की नस को पहचान लिया है और इसी पर काम कर रहे हैं। यह बात अलग है कि भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष अमित शाह जो ठान लेते हैं उसे करते हैं। वह हर चीज पर सकारात्मक ढंग से सोचते हैं लेकिन दुश्मन पर वार करते हुए वह ये परवाह नहीं करते कि इसे आलोचक नकारात्मक कहेंगे या कुछ और। वह दुश्मन को सिर उठाने का मौका नहीं देते। वर्ष 2019 को सामने रखकर अगर वह अपना टार्गेट अभी से तय कर चुके हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
समाज में अमीरी और गरीबी के बीच खाई पैदा करते हुए कांग्रेस का अतीत छोटे तबके का वोट अपने पक्ष में करने से जुड़ा रहा है। यही उसकी सत्ता की सबसे बड़ी कहानी थी परंतु अब बदलते वक्त में जब सियासत का तौर-तरीका बदल चुका है तो कांग्रेस के लिए यह चीखने-चिल्लाने का नहीं कुछ करने का वक्त है। उसके नेता लगातार भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
आज तीन साल पूरे होने के बाद भी भाजपा का एक भी नेता किसी भ्रष्टाचार की लपेट में नहीं आया जबकि पुरानी सत्ता के कर्णधार आज तक भ्रष्टाचार के दलदल से खुद को निकाल नहीं पा रहे हैं। खुद पीएम मोदी यही कहते हैं कि न तो खुद खाऊंगा न ही किसी को खाने दूंगा। न खुद सोऊंगा और न ही सोने दूंगा। काम करूंगा और काम करवाऊंगा। इस दिशा में अगर भाजपा चल पड़ती है और चल रही है तो फिर विपक्ष का तिलमिलाना क्या करेगा? विपक्ष में बिखराव है। हालांकि कांगे्रस सबको इकट्ठा करने की कोशिश कर रही है लेकिन भाजपा का विश्वास निचले तबके के सिर चढ़कर जादू की तरह बोल रहा है। हम तो यही कहेंगे कि भ्रष्टाचार को एक मुद्दा बनाकर इसे कालेधन के साथ जोड़कर भाजपा ने सत्ता पाई और आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत बराबर हर चीज पर निगाह रख रहे हैं और मोदी तथा अमित शाह की जोड़ी सही ट्रैक पर है। उन्हें फ्री हैंड मिला हुआ है। इसीलिए ये पांच वर्ष तो बीतने जा रहे हैं। अगले पांच वर्ष भी सहजता से बीतेंगे। इसीलिए सही कहा जा रहा है कि मोदी का विजन और अमित शाह का मिशन एकदम सही दिशा में हैं। तभी तो इस लोकतंत्र में आम आदमी का विश्वास उनके प्रति बना हुआ है। यही भाजपा की सबसे बड़ी जीत है, जिसके दम पर वह 2024 की योजना को अभी से अंजाम देने के लिए रोडमैप तैयार कर चुके हैं।