लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

फ्रांस के इतिहास का नया अध्याय

अनुमानों के मुताबिक 39 वर्षीय इमैन्युअल मैकरॉन फ्रांस के राष्ट्रपति चुन लिए गए। मध्यमार्गी मैकरॉन ने धुर दक्षिणपंथी मैरीन ली पेन को पराजित किया है।

अनुमानों के मुताबिक 39 वर्षीय इमैन्युअल मैकरॉन फ्रांस के राष्ट्रपति चुन लिए गए। मध्यमार्गी मैकरॉन ने धुर दक्षिणपंथी मैरीन ली पेन को पराजित किया है। सबसे युवा राष्ट्रपति का चुनाव कर फ्रांस ने अपने इतिहास में नया अध्याय लिख दिया है। मैकरॉन के सामने चुनौतियां बड़ी हैं क्योंकि उनकी पार्टी के पास एक भी सांसद नहीं है और फ्रांस में जून महीने में संसदीय चुनाव होने हैं। उन्हें सरकार चलाने और अहम फैसलों के लिए गठबंधन का सहारा लेना होगा। फ्रांस की सियासत में यह बहुत बड़ा बदलाव है क्योंकि लोगों ने पुरानी पार्टियों को खारिज कर दिया है। यह ऐतिहासिक और बड़ा नतीजा है, जिसमें फ्रांस के लोगों ने देशभक्त और रिपब्लिकन गठबंधन को नए राष्ट्रपति के मुख्य विपक्ष के तौर पर चुना है। मैकरॉन फ्रास्वां ओलांद सरकार में वित्त मंत्री रह चुके हैं लेकिन फ्रांस की सियासत में उन्हें अब तक अंजान ही माना जाता रहा है।

उन्हें देश के आंतरिक हालात से लेकर आर्थिक, वैश्विक और आतंकवाद के खिलाफ कड़े मोर्चे पर लड़ाई लडऩी होगी ताकि जनता की उम्मीदों पर खरा उतर सकें। उनके सामने आर्थिक सुधारों की चुनौती सबसे बड़ी है। सामाजिक सुरक्षा और सरकारी नौकरियों पर खर्च के चलते तलवार लटक रही है। सरकारी खर्च घटाना जरूरी है। फ्रांस में 52 लाख लोग सरकारी नौकरियों में हैं जो कुल श्रम शक्ति का 20 फीसदी है। ली पेन की नौकरियों में कटौती की कोई योजना नहीं थी लेकिन मैकरॉन की नीतियां इसके समर्थन में हो सकती हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मैकरॉन ने बजट में 60 अरब यूरो की बचत करने का लक्ष्य रखा था ताकि राजकोषीय घाटा कम किया जा सके। मैकरॉन के सामने बड़ी समस्या बेरोजगारी है। बेरोजगारी की समस्या हल करने में विफलता ही ली पेन को चुनावों में ले डूबी है। मैकरॉन ने श्रम सुधारों के साथ-साथ कमजोर श्रम कानूनों को बदलकर रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने का वादा किया है।

हालांकि फ्रांस में आने वाले शरणार्थियों की संख्या कम है, इसके बावजूद मैकरॉन के सामने उनकी समस्याओं को सुलझाने की चुनौती है। शरणार्थियों के मुद्दे ने राष्ट्रपति चुनाव में अहम भूमिका निभाई है। साल 2016 में फ्रांस में सिर्फ 85 हजार शरणार्थी आए थे लेकिन एक के बाद एक आतंकी हमलों के बाद इस धर्मनिरपेक्ष देश में मुस्लिम आबादी के साथ तनाव काफी बढ़ा हुआ है। सबसे बड़ी समस्या आतंकवाद की है। यूरोप में फ्रांस को ही सबसे ज्यादा निशाना बनाया गया है। वर्ष 2015 के बाद फ्रांस में हुए आतंकी हमलों में 230 लोगों की जान जा चुकी है। आतंकवादी हमलों को फ्रांस की सुरक्षा में सेंध माना गया है। फ्रांस के सैकड़ों लोग सीरिया और इराक में आईएस में शामिल होकर लड़ाके बन गए। इनमें से अनेक वापस लौट आए हैं। आतंकवाद और सुरक्षा के मामले में मैकरॉन ने सख्त रवैया अपनाने की वकालत की है। अब देखना यह है कि मैकरॉन आतंकवाद की चुनौती का सामना किस तरह करते हैं। फ्रांस के चुनाव को समझना आसान नहीं था, खासकर उन लोगों के लिए जो वैश्विक राजनीति और सामरिक मसलों से दूर रहते हैं। दुनिया को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्य फ्रांस की ही देन हैं। फ्रांस का कई देशों में शासन रहा और औपनिवेशिक संबंधों के चलते फ्रांस ने प्रवासियों के लिए अपने दरवाजे खोले थे। प्रवासियों के बाद की पीढिय़ां पैदाइशी फ्रांसीसी नागरिक बन गईं। उन्हें मूल फ्रांसीसी नागरिकों जैसे अधिकार और अवसर भी मिल गए।

फ्रांस का सामाजिक ताना-बाना साम्प्रदायिक सौहार्द का रहा है लेकिन एक बार फिर धर्म अचानक बीच में आ गया है और इसके मूल में भी इस्लाम है। फ्रांस में अलकायदा के बाद आईएस द्वारा किए गए हमलों से असहिष्णुता का भाव बढ़ा है। इस्लाम सामाजिक तनाव और ङ्क्षहसा का माध्यम बना है। फ्रांस के चुनाव यूरोप के वैचारिक और राजनीतिक भविष्य की दिशा तय करेंगे। फ्रांस के नतीजों का असर जर्मनी के चुनाव पर भी पड़ेगा जहां इसी वर्ष चुनाव होने हैं। फ्रांस के चुनावों से स्पष्टï है कि वहां मुख्यधारा के राजनीतिक दलों की लोकप्रियता कम हो चुकी है। अमरीकी चुनाव में जिस तरह अंतिम समय में बाजी पलटी और डोनाल्ड ट्रंप राष्टï्रपति बन गए उसी तरह की जीत मैकरॉन की हुई है। उन्हें वित्तीय जगत के उम्मीदवार के तौर पर भी देखा गया क्योंकि वह खुद बैंकर हैं। इस्लाम को लेकर उनकी अलग राय भी लोगों को रास आ रही है। उम्मीद है कि विविधताओं से भरे इस देश को मैकरॉन नई दिशा देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − 3 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।