पनामा पेपर्स लीक के रहस्योद्घाटन में 2 हजार भारतीयों के नाम सामने आये थे, जिनका अकूत धन इस टैक्स हैवन देश में है। इन नामों में शताब्दी के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन, उनकी पुत्रवधू ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिनेता अजय देवगन, इन्दौर के एक पूर्व अधिकारी प्रभाष सांखला, मंदसौर के व्यापारी विवेक जैन, नीरा राडिया और कई राजनीतिज्ञों और उद्योगपतियों के नाम शामिल थे। इसके बाद ही बच्चन को अतुल्य भारत अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बनाने का विचार ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया था। हालांकि अमिताभ बच्चन समेत कई लोगों ने इस पर स्पष्टीकरण दिया कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल हुआ है। विदेशी हस्तियों में जिनके नाम सामने आये वे भी कम चौंकाने वाले नहीं थे। इनमें आइलैंड के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, यूक्रेन के राष्ट्रपति, सउदी अरब के शाह और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के पिता का नाम, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के करीबी व्यापारी, अभिनेता जैकी चैन और फुटबालर लियोनेल मेसी का नाम भी शामिल है।
मुझे याद है कि पनामा पेपर्स लीक मामले की आंच करनाल तक भी पहुंची थी जब विदेशों में अवैध रूप से धन रखने के मामले में जांच कर रही उच्चस्तरीय केन्द्रीय जांच टीम ने पूर्व कांग्रेस विधायक के आवास पर छापा मारा था। खुलासे के बाद टैक्स चोरी के आरोपों को लेकर भारतीयों के खिलाफ जांच जारी है। दुनियाभर में तूफान खड़ा कर चुके पनामा पेपर लीक कांड ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुरी तरह चपेट में ले लिया है। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित पनामागेट पर संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने उनके खिलाफ 15 मामलों को फिर से खोलने की सिफारिश की है। इनमें से 5 केसों पर फैसला लाहौर हाईकोर्ट पहले ही सुना चुका है जबकि 8 मामलों में शरीफ के खिलाफ जांच और 2 में पूछताछ हुई है। 15 केसों में तीन 1994 से 2011 के बीच के हैं जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के कार्यकाल के हैं जबकि 12 मामले जनरल परवेज मुशर्रफ के समय के हैं, जब शरीफ का तख्ता पलट कर जनरल ने अक्तूबर 1999 में कमान सम्भाली थी। इनमें शरीफ परिवार से जुड़ा 18 साल पुराना लन्दन में प्रोपर्टी का मामला भी शामिल है। अब जेआईटी ने पाया कि शरीफ परिवार पर अवैध रूप से धन जुटाने के मामले में उसके पास कई सबूत मौजूद हैं। यद्यपि नवाज शरीफ ने इस्तीफा देने से इन्कार कर दिया है लेकिन पाकिस्तान की सियासत गर्मा गई है। नवाज शरीफ का भविष्य क्या होता है, यह तो समय ही बताएगा लेकिन पनामा पेपर्स ने नामी-गिरामी हस्तियों को तो नग्न कर ही दिया।
यह खुलासा इंटरनेशनल कन्सोर्टियम ऑफ इन्वैस्टीगेटिव जर्नलिस्ट नाम के एनजीओ ने किया था। पनामा उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका को भूमार्ग से जोडऩे वाला देश है। इसकी एक कानूनी फर्म मोसेक फोंसेका के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद मिले दस्तावेज 100 मीडिया ग्रुपों के पत्रकारों को दिखाए गए थे। 70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की जिसमें साबित हुआ कि अपराध, भ्रष्टाचार अब एक देश तक सीमित नहीं। दस्तावेज बताते हैं कि किस तरह पैसे वाले लोग ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर नहीं हो। दस्तावेजों में 143 राजनीतिज्ञों के नाम भी आए। पनामा की यह कम्पनी लोगों के पैसे का प्रबन्धन करती है। यदि आपके पास बहुत धन है और आप सुरक्षित रूप से ठिकाने लगाना चाहते हैं तो यह आपके नाम से फर्जी कम्पनी खोलती है और कागजों का हिसाब-किताब रखती है। इस कम्पनी द्वारा दुनियाभर में किए जा रहे कारोबार पर ही पनामा देश की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है।
मोसेक फोंसेका कम्पनी पूरी दुनिया में कम से कम 2 लाख कम्पनियों से जुड़ी हुई है। मायाजाल इतना बड़ा है कि आम आदमी को तो कुछ समझ में नहीं आ सकता कि पूरा माजरा क्या है। दरअसल भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, बेईमान नौकरशाहों, अपराधियों ने भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा बाजार बना डाला है। भारत और पाकिस्तान के लोकतंत्र में लोकलज्जा का कोई स्थान बचा नहीं। विपक्ष नवाज से इस्तीफा मांग रहा है और वह लालू की तरह अड़े हुए हैं और कह रहे हैं कि अवाम के लिए आखिरी दम तक लड़ूंगा, इस्तीफा नहीं दूंगा, यह तो जनादेश पर हमला है। पाक की सियासत से चीन भी आतंकित है क्योंकि नवाज चले गए तो चीन की आगे की परियोजनाओं का क्या होगा। भारत की नजरें भी लगी हुई हैं। पनामा पेपर्स ने फिर साबित किया है कि भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी सियासतदानों, नौकरशाहों, माफिया सरगनाओं ने किस तरह लोकधन पर डाका डाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि हर राजनीतिक दल की जिम्मेदारी है कि वह अपने बीच दागी नेताओं को पहचानें और उन्हें अपने दल की राजनीतिक यात्रा से अलग करें। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई आवश्यक है। जिन नेताओं ने देश को लूटा है उनके साथ खड़े रहकर देश को कुछ हासिल नहीं होगा।