अपराध तो हर मामले में अपराध है। अपराधों के मामले में अगर इसकी किस्में, स्वरूप तय किए जाएं तो सचमुच हैरानगी होगी लेकिन इससे भी बड़ी हैरतभरी बात यह है कि अपराध और अपराधी के लिए अगर तय नियमों के मुताबिक किसी गुनहगार को सजा नहीं होती। हरियाणा एक ऐसा ही राज्य है, जहां पिछले एक साल में जिस तरह से बच्चियों और वयस्क लड़कियों के अलावा महिलाओं तक पर जितने जुर्म हुए हैं उन्हें यौन उत्पीडऩ कहें या रेप जुर्म तो जुर्म है। आरक्षण आंदोलन के दौरान कितनी ही लड़कियों के साथ रेप को लेकर आयोग तक बैठे और हरियाणा सरकार ने इस मामले में शर्मसारी के रिकॉर्ड तक बना डाले। ऐसे में अगर राज्य सरकार ने अब रेप को लेकर दोषियों के लिए नियम तय किए हैं तो इसे अच्छी शुरूआत कहा जा सकता है लेकिन सिर्फ 12 साल से कम की बच्चियों के साथ और गैंग रेप के दोषियों को तो फांसी की सजा ही काफी नहीं किसी भी बच्ची चाहे वो कुछ महीनों की हो, युवा हो या बुजुर्ग सबके लिए एक बार तो यह तय करके एकआधे को फांसी पर लटका देना चाहिए ताकि कोई इसके बारे में सोचने से भी डरे।
हां साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस कानून का ‘दुरुपयोग’ भी न हो जैसे कि धारा 498 विवाहितों की सुरक्षा के लिए बनाई गई थी पर इसका काफी दुरुपयोग भी हुआ जिसमें असली कानून की सुरक्षा लेने वाली कई लड़कियां वंचित हुई और कई निर्दोष पति और सास-ससुर को भी फंसाया गया। नए विधान के मुताबिक हरियाणा में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा तय की गई है, वहीं ऐसे अपराध में संलिप्त होने पर कम से कम सजा 14 साल मुकर्रर की गई है। इस मामले में हरियाणा विधानसभा में बिल पारित हो चुका है। मैं दिल्ली में हुए निर्भया रेपकांड के बाद यौन उत्पीडऩ और महिलाओं पर अन्य अत्याचारों को लेकर सैकड़ों बार गोष्ठियों में शिरकत कर चुकी हूं और आज भी मैं इस बात की पक्षधर हूं कि गुनहगार को जब आप एक बार सजा दे देंगे तो बाकी अपराधियों की जुर्रत नहीं होगी कि वो दुबारा किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर देखें। अगर सरकार यह कहती है कि बच्चियों की तरफ आंख उठाकर देखने वालों के दिल में डर बिठाने के लिए आप सख्त नियम वाले कायदे-कानून ला रहे हैं तो फिर उन अपराधियों को सजा दो जिन्होंने नन्ही बच्चियों की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया है।
आप इस मामले में जुल्म को लेकर जिसके साथ जुल्म हुआ है, उसकी उम्र को वर्गीकृत करने की बजाए सजा सुनिश्चित करें। कितना अच्छा होता अगर सरकार हर सूरत में अपराधी के लिए सजा सुनिश्चित करने की गारंटी विधानसभा में देती। हरियाणा में पिछले पांच वर्षों में 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप हुआ और यह संख्या 375 है। क्या इस मामले पर राज्य सरकार ने एक्शन की गारंटी दी? क्रिमिनल लॉ को लेकर एमेंडमेंट बिल पेश कर देने से हरियाणा हो या कोई अन्य राज्य, अपराधियों को कड़ी सजा के प्रावधान की बात कहकर सुर्खियां नहीं बटोर सकते। ऐसी फितरत बदलनी होगी। बल्कि रेप जैसे सामाजिक और नीच हरकत वाली बुराई को खत्म करने के लिए अगर अपराधियों को सजा दी जाती है तो सचमुच आप बधाई के पात्र हैं। कितने अपराधियों को सजा मिली यह सबसे महत्वपूर्ण बात होगी। निर्भया रेपकांड से लेकर हरियाणा रेपकांडों को लेकर अपराधियों को सजा सुनिश्चित करना सरकार की पॉलिसी होनी चाहिए।
कानूनी व्यवस्था में सुराख और वकीलों के तर्क-वितर्क अपराधियों को बचाने का काम करते हैं। निर्भया रेपकांड में एक जुवैनाइल सजा भुगतकर जेल से बाहर है। बाकी में से एक आत्महत्या कर चुका है और दो या तीन लोग जेल में अगर सजा काट रहे हैं तो वो अपनी जिंदगी सुरक्षित रखकर उस गुनाह की सजा से बच गए, जो उन्हें फांसी के रूप में मिली हुई है। ये छोटा सा उदाहरण मैंने इसलिए रखा है कि अपराधियों को तुरंत सजा का नियम जमीन पर भी लागू होना चाहिए। लिहाजा बच्चियों पर दरिंदगी को लेकर फांसी का ऐलान या अन्य प्रावधानों की बजाए सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए, तभी कोई किसी की मां, बहन, बेटी को बुरी नजर से नहीं देखेगा। इसे ही कहेंगे बेटी की सच्ची सुरक्षा और सच्ची खुशहाली। प्रधानमंत्री का बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा भी तभी सार्थक होगा। हरियाणा के साथ-साथ देश के सभी प्रदेशों में ऐसे सख्त कानून बनने चाहिए, हरियाणा सरकार की इस शुरुआत को सलाम।
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