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मध्य रात्रि में जीएसटी देखना ऐतिहासिक और दिलचस्प

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मध्य रात्रि में आजकल हमेशा मैच ही देखने को मिलते हैं। उस समय घर में काम करने वाले कर्मचारी हों या घर के बच्चे, सभी टीवी पर चिपके दिखाई देते हैं परन्तु लोकसभा के सैंट्रल हॉल में जीएसटी को लागू देखना अद्भुत था। हम सब टीवी के आगे थे। हमारा सारा स्टाफ भी क्योंकि उनके चहेते मालिक अश्विनी जी भी इसमें शामिल थे तो वह उनकी एक झलक भी देखना चाहते थे। बड़े महीनों-दिनों से जीएसटी के विरुद्ध आवाज सुन रहे थे। अश्विनी जी जब अपने लोकसभा क्षेत्र में जाते हैं अक्सर मैं भी उनकी कम्पनी करने के लिए अक्सर उनके साथ जाती हूं। कभी पानीपत के व्यापारियों से मीटिंग, कभी करनाल के व्यापारियों से मीटिंग, कभी कोई एसोसिएशन उन्हें ज्ञापन दे रही कभी कोई। करनाल में तो बहुत ही इमोशनल बात हुई जब कपड़ा व्यापारियों ने कहा कि हमें कोई गोली दे दो जिसे खाकर मर जाएं। लोगों का दु:ख-दर्द देखकर मुझे बहुत अफसोस होता है।

मैं अर्थशास्त्र की ज्ञाता नहीं हूं परन्तु समझने की कोशिश करती हूं। कभी समझ आता है कि सब टैक्स समाप्त हो जाएंगे, सिर्फ एक टैक्स रह जाएगा जीएसटी तो लगता यह तो अच्छा है। कभी एक घरौंडा के व्यापारी ने कहा कि उसे हर महीने करनाल तीन बार आना पड़ेगा। मैं अपना काम करूंगा कि करनाल के चक्कर ही काटता रहूंगा। एक ने कहा कि हम तो अनपढ़ हैं। यह काम हमसे तो न होगा। अब सीए या मुनीम रखेंगे तो खर्चा कहां से भरेंगे आदि। जब रात को हम सब टीवी पर देख रहे थे तो सबसे पहले मेरे भाई अरुण जेतली जी बोले और उन्होंने सारा इतिहास बताया और जिस-जिसने इसे शुरू करने में सहयोग दिया उन सभी को ऑनर दिया चाहे वे किसी भी पार्टी के थे। यह एक अच्छा शिष्टाचार और पूरी जानकारी वाला भाषण था।

हमारे प्रधानमंत्री, जिनकी बोलने की अदा ही निराली है, ने जीएसटी को गुड एंड सिम्पल टैक्स कहा (क्योंकि हमारे भारत में डायरैक्ट और इनडायरैक्ट टैक्स हैं। इनडायरैक्ट में लगभग 17 टैक्स हैं जो अब एक टैक्स में समाहित हो जाएंगे)। उन्होंने बताया कि जीएसटी आम आदमी के अनुकूल, व्यापार एवं उद्योग व अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद, सरल कर व्यवस्था है जो एक सशक्त आर्थिक भारत का निर्माण करेगी। समारोह का समापन हमारे अत्यंत प्रतिभाशाली राष्ट्रपति आदरणीय प्रणव मुखर्जी ने किया। जो बात मेरी छोटी बुद्धि को समझ आई, एक लांग टर्म में जब यह लागू हो जाएगा तो इससे फायदा होगा। इसको समझने की जरूरत है जो मुझे भी समय लग रहा है और हर आम व्यक्ति को भी समय लगेगा। मुझसे तो जब कोई पूछता है यह क्या है तो मैं कहती हूं, भाई शनिवार के पहले पेज पर जो सरकारी जीएसटी का विज्ञापन लगा है उसे पढ़ लो काफी समझ आ जाएगा।

मुझे लगता है कि सरकार को अधिक मेहनत करनी पड़ेगी विज्ञापन देकर या छोटी-छोटी डाक्यूमेंट्री जो आम व्यक्ति को समझ आ जाए या सेमीनार करके। मैं चाहती हूं देशभर में अरुण जेतली जी और संतोष गंगवार जी घूमें और लोगों में सरल तरीके से बोलें, लोग उनको सुनना भी पसन्द करेंगे और जो उनके संशय हैं वे भी क्लीयर करेंगे। परन्तु जो भी है यह एक अद्भुत नजारा था, सैंट्रल हॉल खचाखच भरा हुआ था, जो एमपी कभी नहीं भी दिखते थे, वे भी थे। चारों तरफ उत्साह का माहौल था। अभी यह भी सुना कि बहुत सी मार्केटें इसके विरोध में बन्द और हड़ताल पर थीं। व्हाट्सएप पर भी बहुत से मैसेज चल रहे थे। एक तो बड़ा ही रोचक था कि गोलगप्पे खाने पर भी जीएसटी देना पड़ेगा। अगर 100 रुपए से ज्यादा के खाये तो पैन कार्ड दिखाना पड़ेगा। अगर मुफ्त (जो अक्सर महिलाएं बाद में गोलगप्पे झुंगे के खाती हैं) तो बीपीएल का कार्ड दिखाना पड़ेगा।

कुल मिलाकर समय ही बताएगा और समझाएगा कि देश के लिए और आम आदमी के लिए यह कितना अच्छा होगा। सबसे मजेदार लगा जब घर का रसोइया आया कि मैडम जी महीने भर का राशन-सब्जियां ले आऊं नहीं तो पहली जुलाई से जीएसटी लग जाएगा। कहने का भाव सबके मन में एक हौव्वा बना हुआ है जो समय गुजरते ठीक होगा। मैं तो उस दिन की इंतजार में हूं जब मध्य रात्रि एक ऐसा सख्त कानून बनेगा जो महिलाओं से, बच्चियों से रेप व एसिड अटैक करने वालों को सख्त सजा देगा। उस दिन हम सब महिलाएं खुले मैदान में स्क्रीन लगाकर देखेंगी। गांव की महिलाएं चौपाल पर मिलकर टीवी पर देखेंगी और उससे भी बढ़कर टीवी पर मध्य रात्रि जब मोदी जी और हमारे रक्षा मंत्री घोषित करेंगे कि आतंकवाद की समाप्ति, कश्मीर में चैन, नो दंगे, हमने अपने सिपाहियों के सर काटने के अपमान का बदला ले लिया, उस दिन सारा देश सही मायने में दीवाली मनाएगा।

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