लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

तिरंगा यात्रा

NULL

इसमें कोई शक नहीं कि संविधान ने देश के हर नागरिक को समानता का अधिकार दिया है। इसमें भी कोई शक नहीं कि किसी भी नागरिक को किसी भी मजहब से जुडऩे का अधिकार दिया है लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू चांैकाने वाला है। सहिष्णुता और असहिष्णुता की जंग के बीच जब परिणाम दंगों के रूप में निकलता है तो सचमुच मन बड़ा दु:खी होता है। हमारे भारत को भले ही धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा जाता हो, परंतु आज भी हिन्दू और मुस्लिम के बीच जब दंगे होते हैं तो उसकी पृष्ठभूमि में सियासत का वह वोटतंत्र होता है, जिसके दम पर पार्टियां सत्ता में आती हैं। राष्ट्रभक्ति और कत्र्तव्यपरायणता उस समय देशवासियों को धिक्कारने लगती है जब उत्तर प्रदेश के कासगंज में उस दिन दंगा होता है, जब देश के लोग तिरंगा यात्रा निकालना चाहते हैं लेकिन मुसलमान लोग तिरंगा यात्रा की अगुवाई करने वाले चंदन गुप्ता की हत्या कर डालते हैं। सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार देश में हिन्दू-मुसलमानों के बीच में यह खाई क्यों बढ़ती जा रही है?

जब सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था दे रखी है कि तिरंगे को आप सम्मानपूर्वक कहीं भी, कभी भी लहरा सकते हैं, इसका बैज बनाकर अपने कॉलर पर लगा सकते हैं तो ऐसे में ये कौन से मुसलमान हैं, जो अपने देश में इस बात के ठेकेदार बने हुए हैं कि कासगंज में निकाली जाने वाली तिरंगा यात्रा उनके मोहल्ले से नहीं गुजरेगी। उन्हें यह अधिकार किसी संविधान ने नहीं दिया। बात सिर्फ पुलिस और प्रशासन की विफलता की है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से हिन्दू और मुसलमानों को लेकर धु्रवीकरण होता रहा है, यह उसका परिणाम है कि रह-रहकर चिंगारियां उठती हैं और फिर दंगों की आग की शक्ल ले लेती हैं। ऐसी प्रवृत्ति और घटनाएं दोनों ही एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक हैं।

पुलिस और प्रशासन की हालत यह है कि एक डीएम इस घटना को लेकर पूरी बात बयान कर देता है कि किस प्रकार मुस्लिम परिवारों के मोहल्ले में छतों से पथराव किया गया और जो हमलावर थे, उन्हें गिरफ्तार करने में ही सात दिन लग गए। मुसलमान-हिन्दुओं में टकराव के बाद जब दंगा होता है तो उसके बाद हम सब एक समान हैं जैसी शायरी पढऩे-सुनने को मिलती है। ये सब कुछ किताबी है। जमीनी हकीकत से इसका कोई तालमेल नहीं है। आखिरकार तिरंगा यात्रा का विरोध हिन्दुस्तान में रहने वाले मुसलमान कैसे कर सकते हैं? जिन लोगों अर्थात मुसलमानों ने इसका विरोध किया उसी कासगंज में वहीं की वहीं गिरफ्तार करने के बाद कोई न कोई एक्शन लिया जाना चाहिए था। जब हमलावर को पुलिस या प्रशासन शह देते हैं तो फिर कुछ भी नहीं किया जा सकता। कश्मीर आज अगर जल रहा है तो इसके पीछे भी पुलिस और प्रशासन की विफलता रही है।

कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों और सेना पर पत्थर फैंकने का ठेका जिन लोगों ने दिया तो ऐसे ठेकेदारों पर शिकंजा कसने का समय आ गया है लेकिन कश्मीरी युवकों को पत्थर मारने पर भी जब महबूबा सईद जैसी मुख्यमंत्री यह कहती हैं कि पहली बार पत्थर फैंकने वालों को माफ कर दिया जाए तो हमारा सवाल यह है कि गुनाह की परिभाषा क्या होगी? अगला कदम और भी चौंकाने वाला है, जिसमें इन्हीं मोहतरमा ने यह कहा है कि सेना पर दूसरी बार भी पत्थर फैंकने वालों को माफ कर दिया जाए। गुनाह पर गुनाह करने वाले आखिरकार कब तक छूटते रहेंगे? जबकि राजधानी दिल्ली की हालत यह है कि जेबें काटने वाले और कई चोर-उचक्के जेलों में बंद हैं पर उनकी जमानत देने वाला कोई नहीं है। अब तो हमें यही कहना पड़ेगा कि गुनाह, गुनाहगार और सरकार सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं।

फिर से अपने वतन हिन्दुस्तान के कासगंज के दंगे पर आना चाहूंगा, जहां सरकार ने मारे गए युवक के परिवार को बीस लाख रुपए का मुआवजा देकर अपना दायित्व निभा दिया। चंदन गुप्ता अब कभी लौटकर नहीं आएगा। उसके परिवार का दर्द कभी खत्म नहीं होगा लेकिन यह बात तो सही है कि गणतंत्र दिवस वाले दिन तिरंगा यात्रा निकालना कोई गुनाह तो नहीं है और उसके मोहल्ले के लोगों की मांग यही है कि उसे शहीद का दर्जा दिया जाए तो यह तय करना सरकार का काम है लेकिन इस देश में हमारी तिरंगा यात्रा को रोकने वाले मुसलमान कौन होते हैं? समय आ गया है दंगाइयों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। गुनाहगारों को माफी एक बार दी जा सकती है, अगर इसे एक परंपरा बना लिया जाएगा तो फिर इस देश में कश्मीर घाटी जैसे हालात बनते रहेंगे और आए दिन कासगंज जैसे दंगे होते रहेंगे। हम यही कहना चाहते हैं कि समानता का अधिकार सब पर लागू होना चाहिए।

सरकार ने सब्सिडी के नाम पर होने वाले खेल को खत्म किया है। यह काम मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़कर कल तक राजनीतिक लोग खेलते थे। सरकार ने इस पर सही फैसला लिया है कि हिन्दुओं को सब्सिडी नहीं तो मुसलमानों को क्यों? गुनाहगार का जब पता लग चुका है तो उसके खिलाफ एक्शन होना चाहिए, माफी नहीं। नियम और कानून हमेशा सख्ती से लागू किए जाने चाहिएं, ट्यूशन या माफी से नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × 4 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।