पिछले दिनों इंटरनेशनल पंजाबी फोरम के डा. रजिन्दर सिंह चड्ढा के नेतृत्व में बहुत से प्रसिद्ध समाजसेवी और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी के द्वारा सामाजिक परिवर्तन लाने की जो प्रशंसनीय पहल की गई, उसका मैं तहे दिल से स्वागत करती हूं। अक्सर अश्विनी जी को यही कहते सुना कि पंजाबी देश की वो ताकत आैर शक्ति है जो बंजर जमीन को भी उपजाऊ बनाकर छोड़ते हैं और जिस काम को ठान लें वह भी कर के छोड़ते हैं और पंजाबियों का स्वतंत्रता की लड़ाई से लेकर आज तक बहुत बड़ा इतिहास है। यही नहीं बाहर के देशों में भी काफी पंजाबी बसे हुए हैं जिन्होंने देश का नाम ऊंचा किया है। पंजाब, हरियाणा की खुशहाली में भी बाहर के बसे पंजाबियों का हाथ है।
जब मेरी राजिन्दर सिंह जी और मनजीत सिंह जी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि झूठी शानाे-शौकत के लिए शादियों में की जा रही फिजूलखर्ची रोकने, निमंत्रण पत्र को डिजिटल करने पर आम सहमति बनाई है। सरदार मनजीत सिंह जी के अनुसार इंटरनैशनल पंजाबी फोरम का मकसद है कि पंजाबियों में शाही शादी के चलन पर ब्रेक लगे। फिजूलखर्ची के बढ़ते रुझान के कारण गरीब अभिभावकों के ऊपर बोझ बढ़ता है। कई बार वह कर्ज के नीचे दब जाते हैं। अब इसे रोकने और जागरूकता मुहिम चलाने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा दिल्ली कमेटी द्वारा भाई लक्खी शाह वणजारा हाल में होने वाले शादी समारोह में भी लिमिटेड खाने की सूची तैयार की जाएगी।
मुझे लगता है ऐसे फैसले का देश के सभी लोगों को चाहे वे किसी भी समाज या जाति के हों, अनुसरण करना चाहिए जिससे बेटियों को बोझ समझने वालों की सोच में भी फर्क आएगा और मैं तो यह भी हमेशा कहती हूं कि शादी
साधारण हो, लड़का-लड़की और दोनों तरफ के कुछ लोगों के हस्ताक्षर भी हों जो इस शादी को निभवाने का जिम्मा भी लेें (क्योंकि तलाक भी बहुत हो रहे हैं )। दूसरा, पहले तो कुछ लेन-देन होना ही नहीं चाहिए, फिर भी अगर थोड़ा-बहुत घर बसाने के लिए हो तो भी उसकी सूची बनाकर हस्ताक्षर होने चाहिएं ताकि दहेज के झूठे केसों को भी रोका जा सके।
हमारी परम्परा है कि शादी में मां-बाप लड़की को कुछ कपड़े आैर थोड़े गहने मंगलसूत्र, कानों की बालियां, चेन और एकाध सैट अपनी क्षमता अनुसार देते थे। बाकी के रिश्तेदार मिलकर घर की जरूरत का सामान देते थे जैसे लैमन सैट, प्रैस, मिक्सी, बैड कवर, फ्रिज, चूल्हा आदि जिसे दान कहते थे और लड़के वाले लड़की के कुछ कपड़े आैर कुछ गहने तैयार कर आने वाली बहू का स्वागत करते थे जिसे पंजाबी में वरी कहते थे परन्तु पहले बहुत साधारण था, अब देखा-देखी फिजूलखर्ची और झूठी शान और दिखावे का आडम्बर हो गया। अब लड़का-लड़की की तरफ कम झूठे आडम्बरों पर ज्यादा ध्यान देना हो गया। इवेंट कम्पनीज आ गईं। महंगे होटल, महंगी कैटरिंग हो गई। पहले लड़के के लिए सेहरा और लड़की के लिए शिक्षा पढ़ी जाती थी जो जिन्दगी के अहम रोल को बताती थी, अब उसकी जगह डी.जे. या बड़े सिंगर और एक्टर्स ने ले ली।
इसके लिए समाज और युवक-युवतियों को भी इसे रोकने के लिए आगे आना होगा जैसे मैंने अपने कालेज टाइम में कसम खाई थी कि मैं उस व्यक्ति से शादी करूंगी जो दहेज नहीं लेगा परन्तु अश्विनी जी तो उससे भी आगे निकले, न घोड़ी पर चढ़े, न बाराती आए, आर्य समाज मंदिर में लाला जी के आशीर्वाद से सिर्फ एक रुपए शगुन से शादी हुई। करीब 10,000 लोग आए जिनमें कई मुख्यमंत्री और गवर्नर थे। प्रकाश सिंह बादल जी, शांता कुमार जी, चौधरी देवी लाल और कई हस्तियां मौजूद थीं। क्योंकि लाला जी ने अपनी शादी, फिर अपने दोनों बेटों की शादी भी ऐसे ही की थी। फिर अब हमने अपने बेटे आदित्य की शादी एक रु. के शगुन से आर्य समाज मंदिर में की। सो, कहने का भाव है हर बात पहले घर से शुरू की जाती है।
सो, जब इंटरनेशनल पंजाबी फोरम ने डिजिटल निमंत्रण पत्र भेजने की पहल की है तो इससे कार्ड के साथ महंगे गिफ्ट और मिठाई का खर्च भी बचेगा। मिठाई, कार्ड छपाई वालों को थोड़ा नुक्सान जरूर होगा परन्तु समाज में अच्छी दिशा की ओर परिवर्तन लाने के लिए यह सब करना होगा। आओ, हम सब खुले मन से इंटरनेशनल पंजाबी फोरम के साथ इस सामाजिक परिवर्तन की सोच, इस सामाजिक आंदोलन का मजबूत हिस्सा बनें।