लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

मुसीबत में क्यों पड़े हैं शिक्षामित्र?

NULL

वर्षों की उम्मीद कोर्ट के एक फैसले पर झटके से टूटने पर उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का धैर्य जवाब दे गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों का विरोध जारी है। समायोजन रद्द होने पर शिक्षामित्रों ने आन्दोलन का बिगुल फूंका और जगह-जगह प्रदर्शन किए और सरकारी सम्पत्ति की तोडफ़ोड़ भी की। बदायूं में फैसले से आहत शिक्षामित्र ने जहरीला पदार्थ खा लिया जिसकी बरेली के अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। इसके बाद तो शिक्षामित्रों की निराशा अब आक्रोश में बदलती नजर आ रही है। उधर उत्तर प्रदेश में पुलिस दरोगाओं की भर्ती परीक्षा भी रद्द कर दी गई है। परीक्षा रद्द इसलिए की गई क्योंकि हैकरों ने ऑनलाइन परीक्षा सिस्टम में सेंध लगा दी थी। इससे युवाओं में और हताशा व्याप्त हो गई। यह पहला मौका नहीं कि उत्तर प्रदेश में ऐसा हुआ हो, नियुक्तियों में अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्ति, भेदभाव, भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आ चुके हैं।

उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के पद पर समायोजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों में से समायोजित हुए 1 लाख 36 हजार शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के पद पर बने रहेंगे, वहीं सभी 1 लाख 72 हजार को 2 वर्ष के भीतर टीईटी परीक्षा पास करनी होगी। इसके लिए 2 वर्ष में 2 मौके मिलेंगे। टैस्ट पास करने के बाद ही सहायक अध्यापक बन पाएंगे। पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार ने 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सहायक अध्यापक बना दिया था। 12 सितम्बर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन ही रद्द कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। शिक्षामित्रों का कहना था कि बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षामित्रों ने 17 वर्ष तपस्या की है। उनका समायोजन रद्द होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। सहायक शिक्षक का वेतन 39 हजार है जबकि शिक्षामित्रों का वेतन 3500 रुपए है। ऐसे में गुजरा कैसे होगा? शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है कि उत्तर प्रदेश में अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन कर उन्हें फिर से सहायक अध्यापक के पद पर बहाल करने और संशोधन होने तक ‘समान कार्य समान वेतन लागू करने की मांग की है।

राज्य सरकारें और सत्तारूढ़ दल कई बार वोट बैंक के चक्कर में ऐसे फैसले ले लेते हैं जो बाद में काफी महंगे साबित होते हैं। लोक-लुभावन योजनाओं के चलते उत्तर प्रदेश की सपा-बसपा सरकारों ने ऐसे कई फैसले लिए जिसमें योग्यता को मानदण्डों के ऊपर परखा ही नहीं गया। यह कौन नहीं जानता कि अधिकांश भर्तियां रिश्वत लेकर की जाती हैं चाहे वह तदर्थ हों या पक्की। फिर तदर्थ नियुक्तियां नियमित कर दी जाती हैं। कौन नहीं जानता कि बिना रिश्वत दिए पुलिस भर्ती भी नहीं होती। यहां तक कि होमगार्ड को भी ड्यूटी तब मिलती है जब वह कुछ देता है। बसपा शासनकाल में शुरू हुई 4010 दरोगाओं की भर्ती को सपा सरकार ने आगे बढ़ाया। विवादों की वजह से आज तक अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल सकी। वे दर-दर भटक रहे हैं। इसमें भी भर्ती बोर्ड की ओर से अंगुलियां उठी थीं क्योंकि प्रतिबन्ध के बावजूद अभ्यर्थियों ने व्हाइटनर और ब्लेड का इस्तेमाल किया था और उनकी कापियों को उत्तीर्ण भी कर दिया गया था।

इसके अलावा 35 हजार सिपाहियों की भर्ती भी आरक्षण नियमों की अनदेखी की वजह से कोर्ट में फंस गई थी। इस तरह के विवाद भर्ती बोर्ड पर ऊपरी दबाव और अधिकारियों की नियुक्ति में योग्यता और पात्रता की अनदेखी से होते हैं। सपा शासनकाल में भर्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप के खुले आरोप लगते रहे हैं। मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला सबके सामने है जहां इतना बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था कि मैडिकल में दाखिलों से लेकर नियुक्तियों तक की परीक्षा में मुन्नाभाई एमबीबीएस से लेकर इंजीनियर तक घोटाले से जुड़े थे। राज्य सरकारों की भूलों का परिणाम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार शिक्षामित्रों के साथ अन्याय नहीं होने देगी। सरकार उनकी चिन्ता को लेकर संवेदनशील है।

शिक्षामित्रों के समायोजन की कार्यवाही में खामी थी, नतीजतन अदालत ने इस पर रोक लगाई। उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा कर रही है। उसके दायरे में रहकर योगी तर्कसंगत रास्ता अपनाएंगे। अब जबकि योगी आदित्यनाथ ने आश्वासन दे दिया है तो सही यही होगा कि शिक्षामित्र सरकार से संवाद करें। हिंसा और प्रदर्शनों से संवाद के रास्ते ठप्प हो जाते हैं। लोकतन्त्र संघर्ष से नहीं संवाद से चलते हैं। योगी आदित्यनाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि शिक्षामित्रों में व्यापक निराशा को किस तरह आशाओं में तब्दील करें, किस प्रकार उन्हें ऊर्जावान बनाएं ताकि उनकी सेवाओं का फायदा उठाया जा सके। शिक्षामित्रों को भी चाहिए कि अदालत के दिशा-निर्देशों को फॉलो करें या फिर सरकार उनका वेतन बढ़ाकर सहायक शिक्षकों के बराबर कर सकती है। देखना यह है कि योगी सरकार क्या रास्ता निकालती है ताकि शासन व्यवस्था की गलतियों को सुधारा जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 + eleven =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।