मैं हमेशा यही कहती हूं कि चौपाल कमाल है और महिलाओं के लिए रोजगार जुटाने में धमाल मचाती है और यही नहीं यह नागपुर से चली और दिल्ली पहुंची जो माननीय श्रद्धेय मदनदास देवी जी और स्वर्गीय केदारनाथ साहनी जी की सोच है उन स्वाभिमान से जीने वाली महिलाओं के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं आैर काम करके अपने पांवाें पर खड़ा होना चाहती हैं। कुछ दिन पहले मैं अखबारों में पढ़ रही थी कि किसी नेता ने कहा कि आरएसएस में महिलाएं दिखाई नहीं देतीं। मैं उन्हें बताना चाहती हूं कि वे दिखाई नहीं देतीं क्योंकि वह काम करती हैं, दिखने में विश्वास नहीं करतीं चाहे वे सेवा समिति की महिलाएं हों, प्रबुद्ध कोष्ठ की महिलाएं हों, जीआईए की महिलाएं हों। बहुत से क्षेत्रों में बहुत से महिला विंग काम कर रहे हैं। सुमित्रा ताई लोकसभा की स्पीकर इसकी मिसाल हैं। दिल्ली की श्रीमती आशा शर्मा, सुनीता भटिया, राधा भाटिया, स्वर्गीय लक्ष्मीबाई केलकर समिति की सरस्वती आप्टे (ताई), ऊषा ताई जी, प्रोमिला ताई मेड़े , वर्तमान शांता अक्का, सीता आका प्रमुख कार्यवाहिका हैं।
चौपाल तो स्वदेशी फाउंडेशन और संघ की एक दूरदर्शी झुग्गी-झोंपड़ी और क्लस्टर में रहने वाली महिलाओं के लिए सोच है आैर सफल प्रयास है जो 85 महिलाआें से शुरू हुई अब 25,000 महिलाओं का आंकड़ा पार कर चुकी है और करनाल के सांसद अश्वनी चोपड़ा के प्रयास आैर आदरणीय भोलानाथ जी और उनकी सफल टीम की मेहनत से हरियाणा में 4 प्रोग्राम कर चुकी है और महिलाओं को स्वावलम्बी बना चुकी है। यहां तक कि पहली बार महिलाओं को ई-रिक्शा प्रदान करने की शुरूआत हरियाणा से हुई। बड़े गर्व की बात थी जब हरियाणा, जहां पी.एम. ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का अभियान शुरू किया था, वहां पर महिलाओं को अद्भुत खुशी प्राप्त हुई। 11 अक्तूबर को दिल्ली के ईस्ट एरिया में चौपाल के कर्मठ, मेहनती युवा पूर्व विधायक जितेन्द्र महाजन आैैर उनकी टीम की कड़ी मेहनत से चौपाल का सबसे बड़ा कार्यक्रम हुआ। 600 महिलाओं को कामकाज के लिए आर्थिक मदद लघु ऋण यानी उद्यमशील गरीब महिलाओं को छोटी रकम के ऋण उपलब्ध कराकर उन्हें पांवों पर खड़े करने का काम किया। सूक्ष्म वित्तीय ऋण सहायता (माइक्रो फाइनैंस) का अर्थ जाति, धर्म आदि से ऊपर उठकर आर्थिक दृष्टि से उपेक्षित एवं विपन्न वर्ग को स्वयं के प्रयासों से सक्षम बनाना और सशक्तिकरण करना चौपाल अंत्योदय की अवधारणा का एक स्वरूप है।
सबसे बड़ी बात इसमें थी 200 महिलाआें को ई-रिक्शा देना जिसमें पंजाब नैशनल बैंक आैर केशव बैंक ने भी मदद की और आदरणीय मदनदास देवी जी, मुरलीधर राव जी आैर मनोज तिवारी और स्वर्गीय केदारनाथ साहनी जी की पत्नी के हाथों में चाबियां दी गईं। उन महिलाओं के चेहरे पर जो खुशी थी, रौनक थी, स्वाभिमान, आत्मविश्वास का जज्बा था वो देखते ही बनता था। ऐसे लग रहा था कि आज उनके सपनों को उड़ान मिलने जा रही है। मुझे भी उन्हें देखकर ऐसे खुशी हो रही थी जैसे एक मां को अपनी बेटियों को स्वाभिमान से जीते देखने की खुशी होती है। वहीं कायनेटिक ग्रीन ई-रिक्शा की मालकिन सेलूजा फिरोदिया को भी गर्व महसूस हो रहा था कि उनकी बनाई बैस्ट क्वालिटी की ई-रिक्शा महिलाएं चलाएंगी और युवा सौरभ नैय्यर भी खुशी महसूस कर रहा था कि अगले महीने वह भी यही खुशी महिलाओं को देने वाला है। चौपाल आज देश का एक वह प्लेटफार्म है जो दूसरों के दुःख, तकलीफ को समझता है, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को खासकर महिलाओं को सशक्त बनाता है। जब मैं इन लोगों के चेहरे पर खुशियां देखती हूं तो मेरा दिल स्वर्गीय केदारनाथ साहनी जी और भोलानाथ विज जी को कोटि-कोटि नमन करता है जिन्होंने मुझे मुख्य संरक्षिका बनाकर इसके साथ जोड़ा। सभी इसमें ईमानदारी से काम कर रहे हैं चाहे भूपिन्द्र या भद्रदास जी की टीम हो। यह एक प्रेरणादायी काम है जो देश के जरूरतमंद लोगाें की ईमानदारी की सच्ची परिभाषा बन चुका है।