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सिनेमा हॉल में लोगों का जाना हुआ कम: करण जौहर

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48 वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय ​फिल्म महोत्सव में कम बजट की फिल्मों को लेकर भी चर्चा हो रही है। कैसे कम बजट की फिल्म बने। इसके लिए फिल्म मेकर कैसे प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ डिजिटल प्लेटफार्म पर न्यू फिल्म मेकर्स कैसे खुद को तैयार कर सकते हैं। फिल्म के क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवा कैसे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके लिए फिल्मों और फिल्म मेकिंग में उच्च स्थान बना चुके एक्सपर्ट इसके लिए टिप्स भी दे रहे हैं। सोमवार को फिल्म महोत्सव में फिल्म मेकर करण जौहर और प्रोडूसर एकता कपूर ने अपने अनुभव यहां देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे ​छात्रों से शेयर किए। करण जौहर और एकता कपूर यहां ‘मास्टरिंग न्यू रिएलिटी’ कार्यक्रम में लोगों से रूबरू हो रहे थे।

नये दौर में फिल्म मेकर को थोड़ी राहत… जौहर ने फिल्म बनाने में कैसे कम बजट किया जाए के सवाल के पर कहा कि अभी नया दौर आया है, फिल्म के स्टार कास्ट को पार्टनर बनाने का चलन शुरू हुआ है। इससे फिल्म मेकर को थोड़ी राहत होती है। अगर फिल्म हिट हुई तो एक्टर को फायदा होता है, लेकिन फिल्म नहीं चली तो प्रोडूसर के साथ-साथ एक्टर को समझौता करना पड़ता है। करण जौहर ने कहा कि अभी जब से मल्टिप्लेक्स कल्चर आया है, तभी से सिनेमा हॉल में लोगों का जाना कम हुआ है। लेकिन अब कमाई का जरिया केवल फिल्म नहीं रह गई है। ऑन लाइन का जमाना आ गया है। ​स्क्रिप्ट राइटर के जवाब में कहा कि स्क्रिप्ट की डिमांड हमेशा ही रहती है। फिल्म की स्क्रिप्ट में इंटरवल जरूर होना चाहिए। ताकी ​लोग इस पर डिसकस करें कि फिल्म का पहला हाफ कैसा था और दूसरा कैसा रहा? फिल्म का पूरा प्रारूप अगले 10-12 सालों में बदलने वाला है। बहुत हद तक डिजिटल प्लेटफार्म पर फिल्म की पहुंच हो जाएगी। अधिकतकर फिल्में मोबाइल बेस्ड होंगी।

डिजीटल यानी की डंडीव्यूजन… इस मौके पर मौजूद प्रोडूसर एकता कपूर ने कहा ​कि हम इसे तीन कैटेगरी में बांट सकते हैं। ​डिजिटल यानी की ​इंडीव्यूजल, फिल्म यानी कम्युनिटी और टीवी यानी फैमली। एकता कपूर ने कहा कि डिजिटल यानी की मोबाइल अगले कुछ समय में 100 ​मिलियन तक पहुंच होगी। इससे साफ ही एक कंटेंट 100 मिलियन तक होगी। जहां तक टीवी का सवाल तो इसकी पहुंच अभी और बढ़ेगी।

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