उच्चतम न्यायालय ने आज उन सुझावों से सहमति जताई जिसमें कहा गया था कि बिना सरकारी सहायता वाले निजी मेडिकल कॉलेजों में खाली स्नातकोत्तर सीटों को अखिल भारतीय राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में मेधा सूची के आधार पर भरा जा सकता है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश के एक मामले पर सुनवाई करने के दौरान यह बात कही। इस दौरान मेडिकल काउन्सिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने कहा कि राज्य में शैक्षणिक वर्ष 2018-19 में बिना सरकारी सहायता प्राप्त निजी मेडिकल कॉलेजों में तकरीबन 41.95 फीसदी स्नातकोत्तर सीटें खाली रह गईं।
अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने पीठ से कहा , ‘‘ अगर दूसरे राज्य भी चाहें तो इसी तरह की व्यवस्था का पालन कर सकते हैं। हालांकि , इस बात को सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि 31 मई 2018 की कट ऑफ तारीख का सख्ती से पालन हो। ’’
पीठ ने कहा , ‘‘ हम इस सुझाव से सहमत हैं। ’’
इसके साथ ही न्यायालय ने यूपी अनएडेड मेडिकल कॉलेज वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका का निस्तारण कर दिया।
एएसजी और एमसीआई के वकील ने शीर्ष अदालत को आश्वस्त किया कि उसके आदेश को तत्काल एमसीआई , मेडिकल काउन्सलिंग कमेटी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया जाएगा।
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