कश्मीर घाटी में आतंकवाद का कहर हमेशा ही रहता है। ये बात वहां रहने वाले नागरिकों से बेहतर कोई नहीं जान सकता। बता दे कश्मीर घाटी का नाम लेते ही सबसे पहले आतंकवाद, पत्थरबाजी, देश विरोधी नारे, हिंसा, आगजनी की तस्वीर उभर कर आती है। सालों से आतंकवाद की मार झेल रहा कश्मीर अब इन सब से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे है। वही एक शख्स ऐसा भी है जिसने आतंकियों के डर से कश्मीर छोड़ दिया।
ताकि वो अपने सपनो को उड़ान दे सके। और वो किया जो वो करना चाहते थे। उन्होंने इस बार के कश्मीर प्रशासनिक सेवा में टॉप किया है। इसके लिए उनको घर छोड़ना पड़ा। पर अब वो जाकर और भी लोगो को उनके सपनो मे उनको मदद करना चाहते हैं। वो अब और भी लोगो के रास्ते आसान करना चाहते हैं।
कश्मीर प्रशासनिक सेवा में टॉप करने वाले अंजुम बशीर तब सिर्फ नौ साल के ही थे जब आतंकियों ने सुरनकोट के एक दूर दराज गाँव मे बसे उनके घर को जला दिया। ये आतंकवादीयो ने बस इसलिए किया क्यू की अंजुम के माता- पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा आतंकी बने। किसी तरह सबने अपनी जान बचाई और जम्मू में शरण ली।
अंजुम के पिता मोहम्मद बशीर ने बताया कि उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए कड़ी मेहनत की ताकि वे शांति और विकास के दूत बन सकें। 2015 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए 12 हजार से भी ज्यादा उम्मीदवार शामिल हुए जबकि इसके लिए सिर्फ 51 का ही चुनाव हुआ। अंजुम के पिता मोहम्मद बशीर एक रिटायर्ड लेक्चरर और उनकी मां गुलाम फातिमा एक सरकारी स्कूल में टीचर हैं।
आपको बता दे कि पुंछ जिले की सुरनकोट तहसील के मोड़ा बछाई गांव में अंजुम बशीर खान अपने परिवार के साथ रहता है। क्षेत्र से सटे हिल काका में वर्ष 2003 में सेना ने ऑपरेशन सर्व विनाश चलाकर 72 आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। अंजुम ने छोटी उम्र में आतंकवाद का काला दौर देखा है। मोड़ा बछाई में आतंकवादियों का दबदबा रहता था। यहां दिन-रात आतंकी घूमते व क्रिकेट खेलते नजर आते थे। क्षेत्र में आतंकियों का इतना दबदबा हो चुका था कि जब अगर कोई काम या पढ़ाई के लिए स्कूल के लिए निकलता तो परिवार को डर सताता रहता कि वह जिंदा लौटेगा या नहीं।
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