गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों ने आज चेतावनी दी है कि अगर पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप के तहत उनका बकाया इस महीने के अंत तक चुकाया नहीं गया तो अनुसूचित जाति छात्रों को नये सत्र में प्रवेश न देने और वर्तमान छात्रों को क्लास में बैठने से मना किया जा सकता है।
पंजाब में 1000 से ज्यादा गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों का प्रतिनिधित्व करने वाले शैक्षणिक संस्थानों के 14 संगठनों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनर तले एक बैठक हुई।
कमेटी के प्रवक्ता डॉ़ अंशु कटारिया ने कहा कि पीएमएस के तहत गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों का 1600 करोड़ रुपये बकाया है। पीएमएस को लेकर संशोधित नीति के तहत पंजाब सरकार को वर्ष 2017-18 के लिए 550 करोड़ रुपये देने हैं। उन्होंने कहा कि गैरसहायता प्राप्त कॉलेज चिंतित हैं पर मजबूरी में यह कदम उठाने की सोच रहे हैं जिससे लाखों एससी छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।
कमेटी अध्यक्ष अश्वनी सेखरी के अनुसार गैर सहायता प्राप्त संस्थानों ने हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया है और दो लाख लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं लेकिन सरकार को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की कोई परवाह नहीं है जो कि शिक्षा मुहैया कराने की सरकार की जिम्मेदारी ही एक तरह से निभा रहा है। उन्होंने कहा कि कई कॉलेज फंड की कमी की वजह से बंद होने के कगार पर हैं। उन्होंने कहा कि 10 पॉलीटेक्निक कॉलेजों ने 2018-19 के सत्र से छात्रों को प्रवेश नहीं देंगे और उन्होंने कॉलेज बंद करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया हुआ है।
डॉ़ कटारिया ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय मदद से 113़ 50 करोड़ रुपये सरकारी कॉलेजों को और 1़ 25 करोड़ रुपये गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों को वितरित किये हैं। यूटलिटी सर्टीफिकेट केंद, सरकार को न दिये जाने के कारण केंद, से 1000 करोड़ रुपये के वितरण में देरी हो रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक बुलाकर मामले को सुलझाने की अपील की है।
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