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संघ की पाठशाला में कम्युनिज्म का पाठ

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कुशलता कौशल से आती है। कौशल के लिए परिश्रम करना पड़ता है। ज्ञान अ​र्जित करना पड़ता है। आरएसएस की संस्था रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी देश और समाज के उत्थान के लिए कुशल नेतृत्व देने वाले नेता तैयार करती है। यहां संघ, भाजपा, कांग्रेस, कम्युनिज्म, समाजवाद जैसी तमाम विचारधाराओं को पढ़ाया जाता है। देश में नए, युवा, प्रतिभावान व अच्छे नेताओं को तैयार करने के उद्देश्य के लिए यहां नेतागिरी का कोर्स शुरू किया गया है। प्रबोधिनी की राय साफ है कि यहां पर माकपा नेता सीताराम येचुरी आकर कम्युनिज्म पढ़ा सकते हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी विचारधारा को पढ़ाए तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। भारत की तरक्की के लिए अच्छे नेता का निर्माण हो, उसकी विचारधारा कोई भी हो सकती है। मुंबई के पास ठाणे स्थित पहाड़ की वादियों में बने इस संस्थान से लौटकर आए पंजाब केसरी के सतेन्द्र त्रिपाठी की विशेष रिपोर्ट।

अगर आपने नौकरी या फिर स्वरोजगार के लिए कोई पढ़ाई की डिग्री हासिल कर ली है और फिर आपके मन में आता है कि मुझे भी चुनाव लड़कर अच्छा नेता बनकर देश के लिए कुछ करना चाहिए तो तुरंत आप किसी पार्टी से कार्यकर्ता बनकर समाज की सेवा के साथ-साथ टिकट की जुगत में लग जाते हैं। लेकिन अधिकतर चुनाव जीते नेताओं का पहला साल तो यही सीखने में लग जाता है कि पुलिस-प्रशासन से काम कैसे कराना है, भाषण कैसे देना है, विभागों को पत्र कैसे लिखने है। दूसरी विचारधारा को गलत बताने से पहले उसकी जानकारी भी होनी चाहिए। आपकी खुद की पार्टी की विचारधारा क्या है? इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्थान दे रहा है आपके लिए एक अच्छा लीडर बनने का मौका है। इस कोर्स से प्लेसमेंट नहीं देश का अच्छा नागरिक व नेता बनने का अवसर मिल सकता है।

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नौ महीने का है यह कोर्स…
इंडियन इंस्टीट््यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (पीजीपी) लेबल के नौ महीने के इस कोर्स के लिए ग्रेजुएशन न्यूनतम योग्यता है। इसकी फीस ढाई लाख रुपये होगी। इसमें पढ़ाई के साथ-साथ रहने-खाने का शुल्क शामिल है। आगामी एक अगस्त से शुरू होने वाले इस कोर्स में आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून है। इसके बाद 5 से 10 जुलाई के बीच साक्षात्कार कर 15 जुलाई को सफल आवेदकों की घोषणा होगी और 20 जुलाई दाखिले की अंतिम तिथि है। इस कोर्स में मुख्यत: तीन तरह के पैटर्न पर काम होगा। इनमें लीडरशिप एंड मैनेजमेंट, पोलटिक्स एवं डेमोक्रेसी व गवर्नेंस एंड पब्लिक पॉलिसी शामिल हैं।

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देश के भावी राष्ट्रपति कोविंद भी ले चुके है क्लास…
देश के भावी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी यहां पर क्लास ले चुके हैं। इस दौरान उनके साथ तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। बिना विवादों में रहे कोई नेता कैसे काम कर सकता है, यह कोविंद से अच्छा और कौन सीखा सकता है।

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प्रशिक्षित नेता बनाना प्रबोधिनी का उद्देश्य
संस्थान के वाइस चेयरमैन विनय सहस्रबुद्धे के मुताबिक इस कोर्स के लिए इस साल केवल 40 सीटें हंै, लेकिन इसके अब तक पांच सौ से ज्यादा आवेदन आ चुके हंै। इस कोर्स का मतलब है कि देश को प्रशिक्षित नेता मिले। जैसे देश को पढ़े-लिखे डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, एमबीए आदि मिलते हैं, तो उसी तरह नेतृत्व देने वाले नेता भी प्रशिक्षित हों। उसे ज्ञान हो कि विधायक या सांसद बनने के बाद उसे क्या करना है। कैसे प्रशासन से काम कराना है। उन्हें पढ़ाने वाले भी बड़े नेता व विभिन्न विभागों के अधिकारी होते हैं। पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें प्रैक्टिकल भी कराया जाता है। विश्व के तमाम मामलों की जानकारी देने के साथ-साथ यूएनओ तक की कार्यप्रणाली को समझाया जाता है। अच्छा भाषण सब देना चाहते हैं, लेकिन देना कैसे है, उसकी तैयारी कैसे करनी है, इसका प्रशिक्षण यहां बखूबी होता है।

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पढ़ाने के साथ मोदी ने लगाया यहां पौधा…
प्रबोधिनी के लिए गौरव की बात यह भी है कि यहां देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्रियों को पढ़ा चुके हंै। वह गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए यहां क्लास लेने आए थे। इस दौरान उन्होंने यहां एक पौधा भी लगाया था, जो अब पेड़ बन चुका है। उनके अलावा कई केन्द्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री यहां पर प्रशिक्षण दे चुके हैं। यहां पर ग्राम पंचायत सदस्य, नगर सेवक, विधायक से लेकर लोकसभा तक के नेताओं को पिछले करीब 35 साल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

कुछ शॉर्ट टर्म कोर्स भी हैं यहां…
इस संस्थान में सात दिन का शॉर्ट टर्म कोर्स भी है। नेतृत्व साधना नाम के इस कोर्स में नेता बनने और उसके बाद कैसे काम किया जाए, बताया जाता है। संस्थान न केवल अपने प्रांगण में बल्कि देश के विभिन्न शहरों में इस तरह के कोर्स कराता रहता है।

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पानी बचाने का भी है संदेश…
इस जगह पर पहले पीने के पानी की बहुत कमी थी। इसे देखते हुए संस्थान ने वर्षा जल संचयन की योजना बनाई। इसके तहत दो टैंकर बनाए गए हंै। इनमें से एक टैंक की कैपिसिटी 68 लाख लीटर पानी की है। यहां पर साल में औसतन 2595 मिलीमीटर बारिश होती है। इसके जरिए एक संदेश भी दिया गया है कि जल ही जीवन है और उसे बचाना सीखे।

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शहीद परिवारों पर हुए अध्ययन से देश को मिली दिशा…
विनय सहस्रबुद्धे बताते है कि संस्थान ने 850 शहीदों के परिवारों पर एक अध्ययन किया था। इसमें खासतौर पर यह देखा गया कि सैनिक के शहीद होने के बाद उन परिवारों की क्या स्थिति होती है, उनकी पत्नी, बच्चों व परिजनों के बीच क्या होता है। इसकी रिपोर्ट देखने के बाद एनसीडब्ल्यू ने देश के हित के लिए इसके सुझाव लागू करने का फैसला किया।

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18 हजार पुस्तकों में से 9 हजार कम्युनिज्म की…
संस्थान के कार्यकारी निदेशक रविंद्र साठे का मानना है कि इस कोर्स से युवा प्रतिभा और देश की लोकतांत्रिक राजनीति में अंतर को भरा जा सकेगा। यहां पर हर तरह की विचारधारा का ज्ञान लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि संस्थान के पुस्तकालय में 18 हजार किताबें हैं, इसमें 9 हजार केवल कम्युनिज्म पर है।

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बीजेपी के अधिकतर नेता यहां लेते हैं ट्रेनिंग…
सेंट्रल बीजेपी गुड गवर्नेंस टीम के सदस्य वीरेंद्र सचदेवा कहते हंै कि भाजपा की तो हमेशा यही सोच रही है कि देश को अच्छे-सच्चे, ईमानदार व प्रशिक्षित नेता मिले। भाजपा के तमाम सांसद, विधायक, पार्षद व ग्राम सदस्य यहां पर प्रशिक्षण लेकर अपने-अपने क्षेत्र में और बेहतर काम कर रहे हैं। देश को गुड गवर्नंेस कैसे देना है यह बीजेपी ने यहां से सीखा और सिखाया है।

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15 एकड़ में पहाड़ की वादियों में बना है कैंपस…
सन् 1982 से प्रारंभ प्रबोधिनी का यह कैंपस पहाड़ की 15 एकड़ जगह पर बना है। यहां की हरियाली आपका मनमोह लेती है। स्टेट ऑफ द् आर्ट क्लासरूम में ऑडियो-वीडियो टूल्स पढ़ाई के लिए उपलब्ध हैं। यहां का शानदार छात्रावास भी लुभाता है। कैंपस का सबरी मैस खाने के लिए उत्तम है। जिम, ओपन लाइब्रेरी के साथ-साथ वाई-फाई की सुविधा भी मिलेगी।

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इसे निखारने में स्वर्गीय पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रमोद महाजन का बड़ा योगदान है। उन्होंने इसके भव्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी।

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