आज हम भले ही अपने आप को आधुनिक मानते हो और दुनिया के बाकी देशों के साथ तरक्की का सफर तय करने के सपने देखते है पर कुछ बातें भारत में आज भी ऐसी मौजूद है जो हमे सोचने पर मजबूर देती है। आज के डिजिटल जमाने में भी अंधविश्वास का चरम देखने को मिलता है तो बड़े दुःख की बात है।
आजकल रेप और महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए बड़ी बड़ी बातें की जाती है पर होता कुछ नहीं पर इस कहानी को पढ़ कर आप हैरान रह जायेंगे की कैसे एक गांव में लड़कियां 10 रुपए के डाक टिकट में बेच दी जाती है। आपको बता दें की गरीबी के चलते ये खरीद फरोख्त नहीं होती बल्कि एक अंधविश्वास की प्रथा है जिसके नाम पर ये सब किया जाता है।
मध्य प्रदेश के शिवपुरी में गलीचा नाम एक प्रथा निभाई जाती है। यहां लड़कियों के खरीद बिक्री की एक अनपढ़ रखा है जो कि समाज की दकियानूसी मानसिक संकीर्णताओं का एक उदाहरण है। इस प्रथा में युवती के पति स्टाम्प पर मोहर लगते ही बदल जाते हैं। इसमें बिकने वाली युवती और खरीदने वाले व्यक्ति के बीच एक अनुबंध किया जाता है, जिसमें जो व्यक्ति ज्यादा कीमत चुकाता है उसका उस युवती के साथ लंबे समय तक संबंध रहता है वहीं जो कम पैसे चुकाता है उसका संबंध कम दिनों का होता है।
अनुबंध के अनुसार समय खत्म होते ही लड़की का सौदा दूसरे व्यक्ति के साथ कर दिया जाता है। इस प्रथा में लड़की कोई इंसान नहीं बल्कि एक मौज मस्ती के सामान की तरह उपयोग की जाती है जिसे बारी-बारी किराए की तर्ज़ पर इधर उधर भटकाया जाता है।
इस गांव की कुछ महिलायें बताती है की सरकार की तरफ से इस प्रथा को खत्म करने का बहुत बार प्रयास किया पर इस समाज के लोग ही इसे बंद नहीं करना चाहते।
कई तरह के समाजसेवी संस्थान इस प्रथा को खत्म कराने के लिए प्रयास कर रहे है पर जब तक इस समाज के लोगों की सोच नहीं बदलेगी तब तक इस प्रथा को जड़ से ख़तम कर पाना बेहद मुश्किल काम है। आज के समय में नारियों के साथ हो रहे इस पाप को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए।