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शुभ मुहूर्त 2018 : चैत्र नवरात्र में गूंजेंगे अम्बे मैया के जयकारे, इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

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नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है। मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व शुरू हो रहा है। इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं क्या हैं ये नियम और कब से है शुरू माँ के नवरात्रे ।

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आपको बता दे कि 18 मार्च से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है जिन घरों में नवरात्रि पर कलश-स्थापना (घटस्थापना) होती है उनके लिए शुभ मुहूर्त 18 मार्च को प्रातः 07 बजकर 35 मिनट से लेकर 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दौरान घटस्थापना करना सबसे अच्छा होगा। वसंत नवरात्रि में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। नवरात्रि के दिन से हिन्दू नव वर्ष प्रारम्भ होता है।

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इस दिन रविवार है साथ ही सर्वार्थसिद्ध योग भी बन रहा है। इस बार पहला नवरात्र रविवार को पड़ रहा है। इसलिए मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आयेगी, जिसे कि एक अच्छा संयोग कहा जा रहा है। दरअसल घटस्थापना के दिन के मुताबिक मां की सवारियां बदल जाती हैं इसलिए हर साल माता का वाहन अलग-अलग होता है। इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है, जिसे कि धर्म के हिसाब से अच्छा कहा जा रहा है।

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मान्यता के मुताबिक हाथी सुख-समृद्दि और ताकत का मानक है और इस बार देवी का आगमन इससे हो रहा है इसलिए इस बार का नवरात्र शुभ होगा। देश में वर्षा और अन्न की कमी नहीं होगी और देवी के भक्त सुखी, प्रसन्न और संपन्न रहेंगे और तरक्की करेंगे।

> मां की सवारी दिन के हिसाब से तय होती है…
– सोमवार को मां की सवारी : हाथी।
– मंगलवार को मां की सवारी : अश्व यानी घोड़ा।
– बुधवार को मां की सवारी : नाव।
– गुरूवार को मां की सवारी : डोली।
– शुक्रवार को मां की सवारी : डोली।
– शनिवार को मां की सवारी : अश्व यानी घोड़ा।
– रविवार को मां की सवारी : हाथी।

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> नवरात्रि दिन 1 प्रतिपदा, कलश स्थापना: 18 मार्च 2018 (रविवार) – नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्‍हें शैलपुत्री कहा जाता है. मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में पुष्प कमल होता है. मां शैलपुत्री के इस मंत्र का करें जाप: वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशंस्विनिम।।

मां ब्रह्मचारिणी

> नवरात्रि दिन 2, द्वितीया : 19 मार्च 2018 (सोमवार) – दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का होता है। ब्रह्मा शब्द का अर्थ होता है तपस्या। ब्रह्मचारिणी का तात्‍पर्य है तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। मां ब्रह्मचारिणी के बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में जप की माला रहती है। मां ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप करें: दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां चंद्रघंटा

> नवरात्रि दिन 3, तृतीया : 20 मार्च 2018 (मंगलवार) – तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. उनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है। इसलिए मां के इस रूप को चंद्रघण्टा कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है. मां चंद्रघंटा के इस मंत्र का करें जाप: पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

मां कुष्मांडा

> नवरात्रि दिन 4, चतुर्थी : 21 मार्च, 2018 (बुधवार) – चौथे दिन मां कुष्मांडा की अराधना होती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्माण्डा पड़ा। मां कुष्‍मांडा के इस मंत्र का जाप करें: सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तुमे।।

मां स्कंदमाता

> नवरात्रि दिन 5, पंचमी : 22 मार्च 2018 (गुरुवार) – पांचवें दिन मां स्कंदमाता का है। स्कन्द भगवान कार्तिकेय को कहा जाता है और कार्तिकेय की माता होने के कारण ही मां दुर्गा के 5वें रूप को स्‍कंदमाता कहते हैं। इनका वर्ण शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान हैं। इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। मां स्‍कंदमाता के इस मंत्र का जाप करें: सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

मां कात्यायनी

> नवरात्रि दिन 6, षष्ठी : 23 मार्च 2018 (शुक्रवार) – छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही इनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी के इस मंत्र का जाप करें: चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शाईलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

मां कालरात्रि

> नवरात्रि दिन 7, सप्तमी : 24 मार्च 2018 (शनिवार) – सातवां दिन मां कालरात्रि को पूजा जाता है. मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं. इसलिए इन्हें शुभड्करी भी कहा जाता है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं. मां कालरात्रि के इस मंत्र का जाप करें: एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयड्करी।।

मां दुर्गा

> नवरात्रि दिन 8, अष्टमी / नवमी : 25 मार्च 2018 (रविवार) – अष्टमी के दिन महागौरी यानी मां दुर्गा को समर्पित है। इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। मां महागौरी के इस मंत्र का जाप करें: श्वेते वृषे समरूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

 मां सिद्धिदात्री

> नवरात्रि दिन 9, अष्टमी / नवमी : 25 मार्च 2018 (रविवार) – आखिरी यानी नवमी पर सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं यह मां का यह स्‍वरूप नव दुर्गाओं में सबसे अंतिम है. इनकी उपासना करने वाले जातकों की सारी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मां सिद्धिदात्री के इस मंत्र का जाप करें: सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

आपको बता दे कि नवरात्र इस बार नौ नहीं आठ दिन के ही होंगे। क्योंकि 25 मार्च को अष्टमी-नवमी तिथि एक साथ आ रहे हैं।

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