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Gudi Padwa 2018 : जानें क्‍यों इस द‍िन बांधी जाती है ‘गुड़ी’, महाराष्‍ट्र में ये उत्‍सव है बेहद खास

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आज से ही चैत्र नवरात्र का पावन त्योहार भी शुरू हो रहा है। 18 से लेकर 25 मार्च तक इन नौ दिनों में श्रद्धालु माता के सभी नौ रूपों की आराधना करेंगे। इसके तहत पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होगी। नवरात्र का त्योहार देश के कई राज्यों में भक्तिमय वातावरण में मनाया जाता है। खासकर देश के पूर्व और उत्तरी राज्यों में इस त्योहार को लेकर खास आयोजन किए जाते हैं।

navratri ( JAI MATA DI )

नवरात्र के नौ दिनों में पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कन्दमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है।

Gudi Padwa 2018

आपको बता दे कि इस द‍िन को वर्ष प्रतिपदा, उगादि, गुड़ी पड़वा, नवसंवत्सर जैसे व‍िभि‍न्‍न नामों से जाना जाता है। देश में अलग-अलग ह‍िस्‍सों में अलग-अलग तरीके से इस द‍िन उत्‍सव मनाए जाते हैं। इसी क्रम में महाराष्‍ट्र में गुड़ी पड़वा का त्‍योहार धूमधाम से मनाया जाता है और गुड़ी बांधी जाती हैं।

Happy New Year 2018

गुड़ी पड़वा का मुहूर्त- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में जिस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा हो, उस दिन से नव संवत्सर आरंभ होता है। यदि प्रतिपदा दो दिन सूर्योदय के समय पड़ रही हो तो पहले दिन ही गुड़ी पड़वा मनाते हैं।

  • गुड़ी पड़वा तिथि 2018 – 18 मार्च 2018
  • गुड़ी पड़वा दिवस- रविवार
  • गुड़ी पड़वा समय- मराठी विक्रम संवत 2075

kalash gudi festival

ऐसे बनती है गुड़ी

एक लकड़ी के टुकड़े को लाल या पीले रंग के कपड़े से ढंका जाता है। उसके बाद चांदी, तांबा और कांसे के कलश को इस लकड़ी के एक सिरे पर उल्टा लटकाया जाता है। इस कलश के बाहर हल्दी और कुमकुम लगाया जाता है। इसे फिर घर के दरवाजे या खिड़की पर लटकाया जाता है, ताकि हर आने-जाने वाला इसे देख सके।

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गुड़ी के साथ नीम के पत्ते और शक्कर घाटी बांधी जाती है। जो जीवन के मीठे और कड़वे अनुभवों के बारे में बताती है।

महाराष्ट्र में ऐसे मनाते है गुड़ी पड़वा

गुड़ी पड़वा से कई दिन पहले लोग अपने घर, आंगन साफ करते हैं। उसके बाद गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने मुख्य दरवाजे के बाहर रंगोली बनाते हैं। वहीं पूरे घर को फूलों से सजाया जाता है। वहीं आम के पत्तों से बंधनवार और तोरण बनाए जाते हैं। जिसे दरवाजे के ऊपर लगाया जाता है। rangoli

गुड़ी पड़वा के दिन लोग सुबह जल्दी नहाने के बाद पारंपरिक कपड़े पहनते हैं। महिलाएं जहां नवारी पहनती हैं, वहीं पुरुष धोती-कुर्ता पहनते हैं। इसके बाद घर के बाहर लटकी गुड़ी की पूजा की जाती है और नीम की पत्ती, गुड से बनी खाद्य साम्रगी लोग एक दूसरे को खिलाते हैं। वहीं इस दिन घरों में पूरण-पोली और श्रीखंड बनती है।

jai shri ram

ऐसा है गुड़ी पड़वा का आध्यात्मिक महत्व

इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम रावण को हराने के बाद माता जानकी के साथ वापस अयोध्या लौटे थे।

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