राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने अमरनाथ मंदिर में जयकारा लगाने, मंत्रोच्चार और घंटा बजाने पर रोक लगा दी है। वही एनजीटी के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठानी शुरू हो गयी है। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि एनजीटी ने अमरनाथ मंदिर में पूजा पद्धति पर रोक लगाकर एक तरह से तुगलकी फतवा जारी किया है। विहिप का कहना है कि धरती पर प्रकृति संबंधित हर संकट के लिए हिंदू जिम्मेदार नहीं हैं।
वही , जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर एनजीटी के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि पवित्र अमरनाथ गुफा के बाहर तीर्थयात्रियों के जप और जयकारे से पर्यावरण को कैसा नुकसान पहुंचेगा।
आपको बता दे कि एनजीटी ने अमरनाथ यात्रा को लेकर अमरनाथ श्राइन बोर्ड को अहम निर्देश जारी किया है। एनजीटी ने अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के मंत्र और जयकारा लगाने पर रोक का आदेश दिया है।
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने आगे कहा कि आखिरी चेक पोस्ट से भक्तों को सिर्फ एक ही लाइन आगे भेजा जाना चाहिए। एनजीटी ने कहा कि आखिरी चेक पोस्ट के बाद लोगों को अमरनाथ गुफा तक पैदल ही भेजना चाहिए। नवंबर में हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने श्राइन बोर्ड से यह जानना चाहा था कि यात्रियों की सुविधा और यात्रा के दौरान होनेवाली कैजुअल्टी से बचने के लिए 2012 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अबतक क्या कार्रवाई की गई।
एनजीटी ने अमरनाथ को साइलेंस जोन घोषित करने का आदेश देते हुए कहा कि यह इलाका पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इस इलाके में ग्लेशियरों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यहां शोर-शराबा नहीं होना चाहिए और यात्रियों की संख्या भी सीमित होनी चाहिए।
वही , इस बीच इस पर विवाद भी तेज हो गया है और केंद्र की सरकार पर काबिज बीजेपी ने इसे ऐंटी-हिंदू अजेंडा करार दिया है। बता दे कि इस बीच इस पूरे मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है और बीजेपी ने इसे ऐंटी-हिंदू अजेंडा करार दिया है।