जहां पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन जन्माष्टमी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार 14 और 15 अगस्त दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 14 अगस्त को स्मार्त जन्माष्टमी मनाएंगे तो 15 अगस्त को वैष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। इस बार 30 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब 15 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इससे पहले 1987 में 15 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई गई थी।
बता दे शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। भक्त ठाकुर जी के जन्मदिन का जश्न पूरी रात मनाते हैं। कान्हा की आरती, पूजा, भजन सब चलते है। मंदिरों से लेकर घरों तक 56 भोग लगाया जाता है। जन्माष्टमी का व्रत सबसे बड़ा माना जाता है खबरों से बताया जा रहा है कि सोमवार यानि (14 अगस्त) को शाम 7:45 बजे से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन मंगलवार (15 अगस्त) को शाम 5:39 बजे तक रहेगी। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र भी समाप्त हो जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में रात्रि 12 बजे हुआ था। इसलिए सोमवार को ही व्रत और पूजन करना चाहिए। वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग उदयकाल अष्टमी में जन्माष्टमी मनाते हैं और वह 15 अगस्त को व्रत करेंगे।
जन्माष्टमी पर दक्षिणा वर्णी शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। भगवान श्रीकृष्णा को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाने से मान सम्मान में वृद्धि होगी। गरीबों व असहायों को फलाहार कराने से रोगों का नाश होगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का विशेष महत्व होता है।
वही मुंबई में मंगलवार को दही हंडी फोड़ी जाएगी। भक्तगण सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। कृष्ण जन्माष्टमी मनाने को लेकर मुंबई और सटे उपनगर के मंदिरों में तैयारी कर ली गई है।