आपने ट्रेन तो कई देखी होंगी पर ऐसी नहीं जो हवा में लटक कर चलती हो। जी हाँ शायद आप नहीं जानते होंगे की दुनिया में ऐसी रेल सेवा भी है जिसकी ट्रेनें लटक के चलती हैं। जर्मनी के वुप्पर्टल इलाके में चलाई जाने वाली इन ट्रेनों में रोज करीब 82 हजार लोग ट्रैवल करते हैं। दिलचस्प ये है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए इस ट्रेन की किसी दूसरे देश या शहर में नकल नहीं की गई।
इस हैंगिंग ट्रेन के ट्रैक की लंबाई 13.3 किलोमीटर है और यह वुप्पर नदी से 39 फीट ऊपर चलती है। ट्रेन के रुकने के लिए इसके ट्रैक पर 20 स्टेशन बनाए गए हैं। यह ट्रेन बिजली से चलती है।
आप सोच रहे होंगे की इसका सफर बेहद खतरनाक होगा पर ऐसा कुछ नहीं है और अब तक की रिपोर्ट्स के अनुसार ये हैंगिंग ट्रेन सिर्फ एक बार गंभीर हादसे की शिकार हुई है। वर्ष 1999 में हुए इस हादसे में ट्रैन वुप्पर नदी में गिर गयी थी जिसमे 5 यात्रियों ने अपनी जान गवां दी थी। इस हादसे में करीब 50 लोग घायल भी हुए थे।
उस हादसे के बाद अब तक कोई बड़ा हादसा इस रेल सेवा में नहीं हुआ है। हाँ छोटी-मोटी दुर्घटनाएं जरूर हुई है। इस रेल सेवा को चलने के पीछे भी एक कहानी है जो इसके सबसे अलग तरह के संचालन का कारण बनी। दरअसल वुप्पर्टल शहर 19वीं शताब्दी के अंत तक अपने औद्यौगिक विकास के चरम पर पहुंच गया था।
उस वक्त सड़क व्यवस्था तो थी पर इतनी आधुनिक नहीं जितनी आज है। औद्यौगिक क्षेत्र होने की वजह से सामान ढोने के लिए और पैदल चलने वाले लोगों के लिए ही सड़क पर पर्याप्त जगह नहीं थी। इसलिए वहां पर वहां पर जमीन पर चलने वाली ट्रामें चलानी मुश्किल थी। साथ ही
पहाड़ी इलाका होने की वजह से अंडरग्राउंड रेल भी नहीं चलाई जा सकती थी। इसी स्थिति में कुछ इंजीनियरों से हैंगिंग ट्रेन चलाने का फैसला किया। इसे दुनिया की सबसे पुरानी मोनो रेल में से एक भी माना जाता है।