नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के एक टैक्सी ड्राइवर द्वारा एडिलेड से भेजी गई भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों की एक वीडियो वायरल होने के बाद से खेल मंत्रालय, खेल प्राधिकरण और दिल्ली सरकार के खेल एवम् शिक्षा विभाग में जैसे हड़कंप सा मच गया है। वीडियो में इंडिया का ट्रैकशूट पहने दिल्ली के नाहरी गांव की हॉकी खिलाड़ियों को विदेश में अपनी व्यथा सुनाते हुए दिखाया गया है। तारीफ़ की बात यह है कि एक गांव और एक सेंटर की खिलाड़ियों को दिल्ली और देश की टीम बताया जा रहा है और उनके साथ आस्ट्रेलिया के पेसिफिक खेल आयोजन समिति के दुर्व्यवहार को वीडियो में दर्शाया गया है। स्कूली लड़कियों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए आरोप लगाया कि आयोजकों ने उनके साथ बदसलूकी की जिस कारण से दो मैच नहीं खेल पाई।
रहने, खाने और नियत समय पर ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण उन्हें तमाम समस्याओं से दो-चार होना पड़ा है। इस वीडियो के कारण खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण तेजी से हरकत में आए लेकिन किसी को इस बारे मे कोई जानकारी नहीं हैं । एक अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें नहीं पता कि कोई भारतीय हॉकी टीम आस्ट्रेलिया में खेलने गई है। हॉकी इंडिया को भी ऐसी कोई जानकारी नहीं है। तो फिर यह टीम किस बैनर के नीचे भाग लेने गई है। काफ़ी खोज बीन के बाद पता चला कि टीम दिल्ली सरकार के खर्च पर और स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया का बैनर लपेट कर एडिलेड गई है। यह अकेली टीम नहीं है।
पुरुष हॉकी के अलावा फुटबॉल, सॉफ्टबॉल, नेटबॉल और तैराकी, व डाइविंग की टीमें भी एडिलेड में आयोजित स्कूली खेलों में भाग ले रही हैं। खिलाड़ियों और अधिकारियों की कुल संख्या 180 बताई जा रही है। यह भी पता चला है कि खिलाडियों से भी मनमर्ज़ी से पैसे लिए गये हैं। फेडरेशन के अधिकारी भी मीडिया से भागते फिर रहे हैं। प्रश्न यह पैदा होता है कि एक गांव की टीम दिल्ली या देश का प्रतिनिधित्व किस हक से कर रही थी। ज़ाहिर है कहीं कोई गड़बड़ है । यह भी कैसे संभव है कि खेल मंत्रालय और खेल प्राधिकरण को भारतीय खेल दल के बारे में जानकारी ना हो। आखिर खिलाड़ियों को क्लियर कैसे और किसने किया, उन्हें वीज़ा कैसे मिला। ऐसे बहुत से प्रश्न हैं जोकि खिलाड़ियों और देश की सुरक्षा से जुड़े हैं । खेल मंत्रालय और सरकार को इस पूरे प्रकरण की जांच करनी होगी ताकि भविष्य में देश का नाम खराब ना हो।
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(राजेंद्र सजवान)