एशिया के दो चिरप्रतिद्वियों भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों में बेशक लंबे समय से एक फासला बना हुआ है लेकिन यह सर्वविदित है कि दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच हमेशा दोस्ताना संबंध रहे हैं। देश के सबसे सफल कप्तानों में से एक और दिग्गज बल्लेबाज सौरभ गांगुली तो पाकिस्तान के जबर्दस्त तेज गेंदबाज वसीम अकरम को भारतीय टीम का गेंदबाजी कोच बनाना चाहते थे लेकिन दोनों देशों के रिश्तों के बीच खटास होने के कारण उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई।
गांगुली ने इस बात का खुलासा हाल में प्रकाशित अपनी किताब‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ़’में किया है। गांगुली ने अपनी इस हसरत को आखिर अकरम को आईपीएल की कोलकाता नाइटराइडर्स का गेंदबाजी सलाहकार बनाकर पूरा किया। गांगुली कोलकाता टीम के पहले कप्तान थे और इसके आइकन खिलाड़ भी थे। गांगुली बाएं हाथ के तेज गेंदबाज अकरम के खासे मुरीद थे।
बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर गांगुली ने अपनी किताब में लिखा,’ मैं अकरम को भारतीय टीम का गेंदबाजी कोच बनाने के लिए बहुत उत्सुक था। मैंने क्रिकेट मैदान पर उनसे बड़ा जादूगर नहीं देखा था। लोग उन्हें सि्वंग का सुल्तान कहते थे लेकिन मेरी नजर में वह तेज गेंदबाजी के शॉपिंग मॉल थे।
आप गेंदबाजी में उनसे जो चाहते थे, वह मिल सकता था। गांगुली ने लिखा,’ भारत पाकिस्तान के खराब रिश्तों के कारण अकरम को भारतीय गेंदबाजी कोच बनाने के मेरे प्रयास सफल नहीं हो पाए। लेकिन हमारे तेज गेंदबाजों की मदद के लिए वह बस एक फोन कॉल दूर थे।’ पूर्व भारतीय कप्तान ने बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान को वसीम से नैरोबी में चैंपियंस ट्राफी के दौरान मिलवाया था।
गांगुली ने इरफान पठान को एडिलेड में अपना पहला टेस्ट मैच खेलने से पूर्व वसीम से सलाह भी दिलवाई थी। गांगुली ने आखिर अकरम को कोलकाता का गेंदबाजी सलाहकार अपनी हसरत को पूरा किया था। गांगुली की पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैचों और उनके खिलाड़ियों के साथ संबंधों को लेकर खासी अच्छी यादें हैं और पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को लेकर अपनी किताब में उन्होंने एक पूरा अध्याय रखा है। गांगुली अकरम के अलावा पाकिस्तान के पूर्व कप्तान जावेद मियांदाद, पूर्व बल्लेबाज इंजमामुल हक़ और पाकिस्तान के लीजेंड जहीर अब्बास के भी खासे मुरीद हैं।
पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर के साथ भी उनके बड़ ही दोस्ताना संबंध हैं। गांगुली ने 2006 में अपनी वापसी को याद करते हुए लिखा,’ मुझे तेज गेंदबाजों को खेलने का ज्यादा समय नहीं मिल पा रहा था। मैं अपनी ग्रिप और स्टांस को लेकर उलझन में था। नार्थम्प्टनशायर की तरफ से खेलते हुए मेरी जहीर भाई से मुलाकात हुई। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने कहा,’ जहीर भाई ने मेरे स्टांस को ठीक किया जिसके बाद मुझे तेज गेंदबाजों को खेलने में कोई परेशानी नहीं हुई। मेरे करियर के सर्वश्रेष्ठ समय में से एक उसी के बाद शुरु हुआ था। इसके लिए मैं जेड भाई (जहीर) को धन्यवाद देना चाहता हूं।’
गांगुली ने इस अध्याय में 2004 के पाकिस्तान दौरे का भी जिक्र किया जिसमें वह रात को बिना किसी सुरक्षा के लाहौर की प्रसिद्ध फूड स्ट्रीट निकल गए थे। हालांकि बाद में उन्हें पहचान लिया गया और फिर उन्हें कड़ सुरक्षा में वापस होटल लाया गया। पूर्व कप्तान ने किताब में बताया कि इस घटना के बाद उन्हें पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ का भी फोन आया जिन्होंने गांगुली से कहा कि अगली बार जब वह ऐसे घूमने बाहर जाएं तो सुरक्षाकर्मियों को बताएं ताकि उनके लिए पूरे सुरक्षा काफिले का इंतजाम किया जा सके।
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