नई दिल्ली : कामनवेल्थ खेलों में भाग लेने जा रही भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमें संतुलित हैं और पदक की दावेदार मानी जा रही हैं लेकिन आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका आदि की उपस्थिति में खिताब जीतना या फाइनल तक पहुंचना आसान नहीं होगा, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और श्रेष्ठ लेफ्ट आउट में शुमार जफर इकबाल ने यहां सोनी पिक्चर्स नेटवर्क के रंग दे तिरंगा कार्यक्रम में अपनी राय व्यक्त की। इस अवसर पर मुक्केबाज अखिल कुमार, एथलीट कृष्णा पूनिया और निशानेबाज मुराद अली भी मौजूद थे। इन सभी खिलाड़ियों ने कामनवेल्थ खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीते हैं।
जफर 1980 के मास्को ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी थे। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया से पार पा सके तो स्वर्ण हमारा होगा। सोनी और डीएसजेए की संयुक्त मेजबानी में आयोजित सेंड आफ कार्यक्र्म मे भारतीय दल को शुभ कामना दी गई। इस अवसर पर सीनियर उपाध्यक्ष केदार टेनी ने बताया कि सोनी गोल्ड कॉस्ट कामनवेल्थ खेलों को कवर कर रहा है। अपने अनुभव शेयर करते हुए ज़फर ने बताया की हॉकी को इन खेलों में 1998 में शामिल किया गया था।
हालांकि महिला टीम ने 2002 के मैनचेस्टर खेलों में गोल्ड जीता किंतु पुरुष टीम 2010 और 2014 में सिल्वर ही जीत पाई। उसे आस्ट्रेलिया जैसी टीम से पार पाने में खासी मुश्किल आई है। लेकिन उन्होंने भारतीय टीम को इस बार दमदार बताया और कहा कि हॉकी इंडिया लीग के आयोजन से खिलाड़ियों ने बहुत कुछ सीखा है। जफर को इस बात की हैरानी है कि जहां एक ओर आस्ट्रेलिया जैसी टीम ने 5-3-2 की शैली को बनाए रखा है पर भारतीय हॉकी ने अपनी परंपरा को छोड़ दिया है।
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(राजेंद्र सजवान)