नई दिल्ली: भारतीय हॉकी ने वर्ष 2017 में जो कुछ पाया उसका असली फल नये साल में मिलने वाला है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि एशियाड और कामनवेल्थ खेल 2018 की बड़ी चुनौती होंगे। साल के अंत में भुवनेश्वर में वर्ल्ड कप का आयोजन किया जाना है। अर्थात तीन बड़े आयोजनों में भारतीय हॉकी को अग्नि परीक्षा से गुज़रना होगा। फिलहाल भारत की वर्ल्ड रैंकिंग छठे स्थान की है। एशिया में भारत नंबर एक पर है।
पाकिस्तानए कोरिया, जापान, मलेशिया और चीन से निपटना भारतीय टीम के लिए मुश्किल नहीं है फिर भी देखने में आया है कि कभी कभार मलेशिया और कोरिया जैसे देश भी भारत पर भारी पड़ जाते हैं। पाकिस्तान तो हमेशा से कड़ा प्रतिद्वंदी रहा ही है। विश्व स्तर पर भारतीय हॉकी के लिए जर्मनी, हालैंड, आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, बेल्जियम, इंग्लैंड और स्पेन मजबूत चुनौती बन कर डटे हुए हैं। उनसे वर्ल्ड कप में भिड़ंत होगी। एशियाई खेलों मे जीत के लिए ज़्यादा पसीना शायद ही बहाना पड़े।
लेकिन कामनवेल्थ खेलों में खिताब जीतना आसान नहीं होगा। आस्ट्रेलिया भारतीय हॉकी के लिए हमेशा से परेशानी रहा है और इंग्लैंड से पार पाना भी मुश्किल खेल है। अर्थात कामनवेल्थ खेलों का हॉकी खिताब जीतना वर्ल्ड कप की सही तैयारी माना जाएगा। भारतीय हॉकी के लिए 2018 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी साल भारत को अपनी ओलंपिक टीम को खोजना, तैयार करना और निर्णायक स्वरूप देना है।
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(राजेंद्र सजवान)