उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने छात्रों में तनाव और अवसाद जनित आत्महत्या की समस्या के समाधान के लिये शारीरिक खेलों के साथ दिमागी कसरत से जुड़ खेलों को भी बढ़वा देने की जरूरत पर बल दिया। नायडू ने आज वर्ल्ड मेमोरी स्पोर्ट्स काउंसिल फॉर इंडिया (डब्ल्यूएमएससीआई) के दल को संबोधित करते हुये कहा कि शतरंज जैसे अन्य दिमागी खेलों को शारीरिक खेलों की तरह पाठ्यक्रम में बढ़वा देने से पठन पाठन रोचक बनेगा और बच्चे पाठ्यक्रम के बोझ से पैदा होने वाले तनाव तथा अवसाद से भी मुक्त होंगे। उन्होंने दिमागी खेलों को भी शारीरिक खेलों की तर्ज पर बढ़वा देने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि सीमित शारीरिक क्षमताओं से उलट दिमाग की असीमित क्षमता का दोहन करना होगा।
डब्ल्यूएमएससीआई के इस दल ने पिछले माह चीन के शेन्झेन शहर में आयोजित विश्व मेमोरी चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल किया था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि दिमागी खेल छात्रों की एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़कर जीवन में सफलता प्राप्त करने में मददगार होते हैं। नायडू ने देश भर में समग, शिक्षा प्रणाली की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि छात्रों में तनाव और अवसाद के मुख्य कारण समझने के बजाय रटने पर जोर देने वाली पढ़ई, बच्चों से माता-पिता की ज्यादा उम्मीदें, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और शैक्षिक संस्थानों में रूंची रैंकिंग की प्रतिस्पर्धा हैं।
नायडू ने कहा कि तनाव या अवसाद में डूबे छात्रों द्वारा आत्माहत्या की घटनायें दुख:द हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि संस्थान, सरकारों और समाज को एकजुट होकर तनावग्रस्त छात्रों का सहयोग कर ऐसे मामलों को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि रटने की प्रणाली के तहत छात्र विषय को बुनियादी तौर पर समझे बिना सिर्फ परीक्षा में उथीर्ण होने के लिए रट्टा लगाते हैं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से याददाश्त बेहतर करने वाले दिमागी खेलों को नियमित रूप से खेलने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि इससे छात्रों का समग, विकास होगा।
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