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अब आधार से रुकेगी उम्र की धोखाधड़ी

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नई दिल्ली : हरियाणवी पहलवानों के वर्चस्व के चलते भारतीय कुश्ती फेडरेशन को एक ऐसा एतिहासिक फ़ैसला लेना पड़ा है जोकि देशभर के खेल संघों और यहां तक कि विदेशियों के लिए भी मिसाल बन गया है। फेडरेशन ने सभी पहलवानों को किसी भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उतरने के लिए आधार कार्ड साथ लाना ज़रूरी कर दिया है। हालांकि फेडरेशन ने एज फ्रॉड रोकने के लिए यह फ़ैसला किया है लेकिन बड़ा कारण हरियाणा के पहलवानों की अन्य राज्यों में जबरन घुसपैठ को रोकना भी है। इस फ़ैसले को देशभर के कोच, पहलवान और अधिकारी एकदम सही बता रहे हैं। भारतीय महिला टीम के कोच कुलदीप सिंह की राय में फेडरेशन का फ़ैसला सही है। ऐसा इसलिए भी करना पड़ा है क्योंकि एक पहलवान सुविधा के अनुसार अलग-अलग राज्यों से खेल जाता है, जिससे उस राज्य के पहलवानों का अहित होता है।

बेशक हरियाणा के पहलवान श्रेष्ठ हैं किंतु अन्य राज्यों के पहलवानों का हक नहीं मारा जाना चाहिए। कुलदीप चाहते हैं कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप मे हरियाणा की दो टीमें उतारने के बारे में कोई नियम बन सके तो बेहतर होगा। ऐसे मे हरियाणा के पहलवानों को और ज़्यादा अवसर मिल सकेंगे। द्रोणाचार्य महासिंह राव भी आधार कार्ड ज़रूरी करने के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। उनके अनुसार अब पारदर्शिता आएगी। उम्र की धोखाधड़ी तो रुक ही जाएगी साथ ही अन्य राज्यों के पहलवान भी आगे बढ़ेंगे। पहले उनका स्थान हरियाणा के घुसपैठिए पहलवान हड़प लेते थे। यह सही है कि हरियाणा के पहलवानों का डंका बज रहा है पर कुश्ती पूरे देश में फैले, इस लिहाज से अच्छा कदम उठाया गया है।

ओलंपिक पदक विजेता हरियाणा के योगेश्वर दत्त भी मानते हैं कि कुश्ती के विकास और फैलाव के लिए स्वागत योग्य निर्णय लिया गया है पर हरियाणा के पहलवानों की प्रतिभा का समुचित उपयोग होना चाहिए। उनकी राय में हरियाणा के हितो को ध्यान में रखते हुए ऐसी नीति बनाई जानी चाहिए ताकि कुश्ती को और लाभ हो सके। इसमे दो राय नहीं कि हरियाणा ने तमाम खेलों में गजब की प्रगति की है। उसके महिला और पुरुष पहलवान देश विदेश में धूम मचा रहे हैं। उनके तादाद निरंतर बढ़ रही है। चूँकि उनके हुनर का जवाब नहीं इसलिए अपने राज्य से बाहर निकल कर अन्य राज्यों से भी खेल जाते हैं, जोकि उस राज्य की प्रतिभाओं के साथ अन्याय जैसा है।

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(राजेंद्र सजवान)

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