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खेल के बजाय स्टार खिलाड़ियों को तवज्जो देने से निराश नेहरा

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आशीष नेहरा ने भले ही 17 टेस्ट, 120 वनडे और 27 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हों लेकिन क्रिकेट से उनकी विदाई किसी स्टार की तरह हुई, फिर भी वह भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के रवैये में बदलाव चाहते हैं कि वे केवल स्टार खिलाड़ियों को ही नहीं बल्कि खेल को तवज्जो दें।अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले नेहरा ने कहा, मेरी निजी राय है कि हमारे देश में केवल स्टार खिलाड़ियों को पूछा जाता है। हम आस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका जैसे नहीं है। हमारे देश में खेल से अधिक स्टार को प्यार किया जाता है। मैं चाहता हूं कि रणजी ट्राफी में भी दर्शक पहुंचे।

नेहरा को चोटों के कारण कई बार अंदर बाहर होना पड़ा जबकि कुछ अवसरों पर उन्हें टीम में नहीं चुना गया जैसे कि विश्व कप 2011 के बाद उंगली की चोट के कारण वह बाहर हुए तो इस प्रारूप में फिर कभी वापसी नहीं कर पाये। यह वह दौर था जबकि नेहरा को लगभग भुला दिया गया था। भले ही इस दौरान वह आईपीएल में खेल रहे थे और इसके बाद उन्होंने सबसे छोटे प्रारूप में वापसी भी की। उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि मैं तब क्रिकेट नहीं खेल रहा था। दुर्भाज्ञ से हम केवल उसी पर गौर करते हैं जो भारतीय टीम में होता है। अभी इशांत शर्मा भारतीय टीम में नहीं है लेकिन दिल्ली से खेल रहा है। इस टीम में रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा भी नहीं है।

नेहरा को आंकड़ और तुलना करना भी पसंद नहीं है लेकिन कप्तानी के मामले में वह सौरव गांगुली को प्रेरणादायी कप्तान मानते हैं। इस तेज गेंदबाज ने कहा, मुझे तुलना पसंद नहीं है। मैं दादा (सौरव गांगुली) की अगुवाई में खेला। हर किसी के अपने मजबूत और कमजोर पक्ष होते हैं। मैं धोनी के नेतृत्व में खेला और अब विराट के, जिसे लंबी राह तय करनी है। नेहरा ने कहा, मैं वीरेंद्र सहवाग की अगुवाई में भी खेला जो सकारात्मक व्यक्ति है। गांगुली खिलाड़ियों को बहुत अच्छी तरह से प्रेरित करते थे। उन्होंने हम युवा खिलाड़ियों मैं, जहीर खान, युवराज सिंह और हरभजन सिंह से अच्छा प्रदर्शन करवाया। जब भी मैं शारीरिक तौर पर अच्छा महसूस करता था तो कप्तान कोई भी रहा हो मैं खेल का लुत्फ उठाता था।

नेहरा उन चंद खिलाड़ियों में शामिल थे जिन्होंने पिछली सदी में अपने करियर की शुरूआत की। इस दौरान क्रिकेट में आये बदलावों तो उन्होंने दार्शनिक अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा, क्रिकेट में लगातार बदलाव होते हैं। मुझे 2003 विश्व कप की याद है। मुझे लग रहा था कि मैं अच्छी गेंदबाजी कर रहा हूं लेकिन रिकी पोंटिंग और मैथ्यू हेडन जैसे बल्लेबाज आपसे दो कदम आगे होते थे। इसी तरह से आज गेंदबाजों को लगता होगा कि वे अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं लेकिन विराट कोहली और रोहित शर्मा उनसे बहुत आगे हैं। नेहरा ने इसके साथ ही साफ किया कि अभी उन्होंने भविष्य की योजना नहीं बनायी है। दिल्ली के क्रिकेटर ने कहा, मैंने अपनी जिंदगी भर क्रिकेट खेली है। मैं नहीं जानता कि आगे क्या होगा। मुझे इस पर विचार करना होगा। यह कोचिंग भी हो सकती है और कमेंट्री भी।

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