महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर कल राज्य सभा के अपने पहले भाषण में राष्ट्रीय स्तर के खिलाडय़रों के वित्तीय सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहते थे लेकिन सदन में हंगामें के कारण वह ऐसा नहीं कर सके। तेंदुलकर ने आज कहा, जब कोई खिलाड़ सिर्फ खेल को अपने करियर के तौर पर चुनता है तो उसके सामने हमेशा विथीय सुरक्षा की चुनौती होती है। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि सरकार विभिन्न संस्थानों की मदद से खिलाडय़रों को रोजगार मुहैया कराती है और उनका समर्थन करती है जिसकी हम सब तारीफ करते है। भारत रत्न से सम्मानीत से इस खिलाड़ ने कहा, लेकिन बहुत सारे राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर के संन्यास ले चुके खिलाडय़रों के पास कोई स्थायी रोजगार नहीं है। उनकी विथीय स्थिति को स्थिर करने के साथ हमें उनके दिमाग का उपयोग भी करना होगा। उनके कौशल और खेल के प्रति जुनून का इस्तेमाल भविष्य के खिलाडय़रों को कोचिंग देने के लिये किया जा सकता है।
तेंदुलकर ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को लिखे पत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाडय़रों को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना (सीजीएचएस) में शामिल करने की मांग की थी। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर के हाकी खिलाड़ झारखंड के नाउरी मुंडू का उद्हारण देते हुये कहा कि वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये शिक्षण कार्य करने के साथ खेत का भी काम करते है। ऐसी ही कहानी 2011 एथेंस विशेष ओलंपिक में पदक जीतने वाली सीता साहू की है जो गोलगप्पे बेचती हैं।
उन्होंने कहा, हमें कोई ऐसी संस्था बनाने की जरूरत है जिसके तहत इन खिलाडय़रों से स्कूलों में प्रशिक्षण दिलवाने और कम उम, में सही प्रतिभा की तलाश करवाने की जरूरत है। ये खिलाड़ समाज को काफी कुछ दे सकते हैं। तेंदुलकर ने राष्ट्रीय स्तर के खिलाडय़रों के लिये स्वास्थ्य बीमा की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि हमारे राष्ट्रीय स्तर के सभी खिलाडय़रों के पास स्वास्थ्य बीमा हो। जिस तरह की परेशानियों का सामना हाकी के महान खिलाड़ मोहम्मद शाहिद को उनके आखिरी दिनों में करना पड़ था वैसी दुर्भाज्ञपूर्ण स्थिति किसी दूसरे खिलाड़ को न झेलना पड़।
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