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वाडकर के शतक से विदर्भ रणजी खिताब के करीब

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इंदौर: अक्षय वाडकर के पहले शतक की बदौलत विदर्भ ने फाइनल के तीसरे दिन दिल्ली पर 233 रन की मजबूत बढ़त के साथ अपने पहले रणजी ट्रॉफी खिताब की ओर मजबूत कदम बढ़ाए। अपने पहले सत्र के पांचवें मैच में खेल रहे विकेट कीपर वाडकर नाबाद 133 रन बनाकर खेल रहे हैं जिससे टीम ने स्टंप तक सात विकेट पर 528 रन बनाए। सिद्धेश नेराल 92 गेंद में 56 रन बनाकर वाडकर का साथ निभा रहे हैं। उन्होंने अपनी पारी में चार छक्के और इतने ही चौके मारे हैं। वाडकर और नेराल अब तक आठवें विकेट के लिए 113 रन की अटूट साझेदारी कर चुके हैं। दिल्ली की टीम पहली पारी में 295 रन ही बना सकी थी।

वाडकर ने इससे पहले होलकर स्टेडियम में आदित्य सरवटे के साथ भी सातवें विकेट के लिए 169 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की। सरवते ने 154 गेंद का सामना करते हुए 79 रन बनाए। विदर्भ ने दिन की शुरुआत चार विकेट पर 206 रन के साथ की और जज्बे के साथ बल्लेबाजी की। विदर्भ ने मैदान पर दिल्ली की नीरसता का भी फायदा उठाया जिसके क्षेत्ररक्षक रंग में नहीं दिखे और कैच टपकाए। दिल्ली ने दिन की शुरुआत में अनुभवी वसीम जाफर का भी कैच टपकाया जिन्होंने 78 रन की पारी खेली। कप्तान ऋषभ पंत के पास बल्लेबाजों को रोकने के लिए कोई तरकीब नहीं दिखी और उन्होंने स्टंपिंग का मौका भी गंवाया। कुणाल चंदेला ने दिन के पहले ही ओवर की नवदीप सैनी की चौथी गेंद पर जाफर का कैच टपका दिया।

जाफर सिर्फ 17 रन और जोड़ने के बाद पवेलियन लौट गए। वह हालांकि सुबह लगभग डेढ़ घंटे तक क्रीज पर रहे जिससे उनके पवेलियन लौटने तक सैनी काफी थक चुके थे जिन्होंने 10 ओवर के लंबे स्पैल में दो विकेट हासिल किए। जाफर के आउट होने तक सैनी हालांकि काफी थक चुके थे जिससे उन्हें विदर्भ के निचले क्रम को अधिक गेंदबाजी करने का मौका नहीं मिला। उनके गेंदबाजी से हटने से वाडकर और सरवते को जमने का मौका मिला जिससे दोनों ने विदर्भ की स्थिति मजबूत की।

वाडकर ने अपनी पारी में 16 चौके और बायें हाथ के स्पिनर विकास मिश्रा पर छक्का जड़ा है। स्पिन विभाग में मजबूत विकल्प की कमी का भी दिल्ली को खामियाजा उठाना पड़ा जिससे मदद नहीं मिलने के बावजूद सैनी और कुलवंत खेजरोलिया की तेज गेंदबाजी जोड़ी को काफी गेंदबाजी करनी पड़ी। आकाश सूदन बिलकुल भी प्रभावशाली नहीं दिखे और विदर्भ के बल्लेबाजों के लिए कोई समस्या नहीं खड़ी कर सके।

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