भारतीय हॉकी टीम का अगला कोच कौन होगा इसे लेकर अब मंथन शुरू हो गया है। क्रिकेट की तर्ज पर देश के ही किसी प्रतििष्ठत इंटरनेशनल खिलाड़ी की तलाश चयनकर्तांओं को करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि बड़े फैसले लेने के िलए साहस दिखाना पड़ता है। आेलंपिक भारतीय हॉकी की खोई शान दिलाने के लिए चयनकर्ता सक्रिय हैं। उल्लेखनीय है कि कल सीनियर टीम के हाल के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए मुख्य कोच रोलेंट ओल्टमैन्स को उनके पद से हटा दिया थ्ा। हॉकी इण्डिया ने अपनी हाई परफॉर्मेंस और डेवलपमेंट कमेटी की शनिवार को समाप्त हुई तीन दिवसीय बैठक में यह फैसला लिया।
पुरुष सीनियर टीम के वर्ल्ड लीग सेमीफाइनल टूर्नामेंट और यूरोपियन टूर के प्रदर्शन के आधार पर यह फैसला किया गया। यह फैसला लेने में 2018 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और विश्वकप तथा 2020 के टोक्यो ओलम्पिक को भी ध्यान में रखा गया ताकि इन महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में टीम बेहतर प्रदर्शन कर सके। बैठक के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में ओल्टमैन्स को मुख्य कोच पद से हटने के लिए कहा गया हालंकि साथ ही टीम के ओवरआल फिटनेस स्तर में सुधार लाने के लिए उनकी भूमिका की सराहना भी की गयी। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि टीम का प्रदर्शन निरंतर नहीं था और वांछित स्तर के अनुरूप भी नहीं था।
तीन दिन तक चली बैठक में 24 सदस्यों ने हिस्सा लिया जिसमें हरबिंदर सिंह, बीपी गोविंदा, वी. भास्करन, थोइबा सिंह, डॉ. एबी सुब्बैया, डॉ. आरपी सिंह, जॉयदीप कौर, सरदार सिंह, पीआर श्रीजेश, मनप्रीत सिंह, रोलैंट ओल्टमैन्स, जुगराज सिंह, अर्जुन हलप्पा, हंस स्ट्रीडर, स्कॉट कॉनवे, डेविड जॉन, एलेना नार्मन, मरियम्मा कोशी, मोहम्मद मुश्ताक अहमद, राजिंदर सिंह, तपन दास, भोलानाथ सिंह, फिरोज अंसारी और ज्ञानेन्द्रो निन्गोमबम शामिल थे।
भारतीय पुरुष टीम को सफलता के पथ पर आगे ले जाने के लिए सभी समिति सदस्यों से विचार लिए गए। इसके अलावा हाई परफॉरमेंस निदेशक और हॉकी इंडिया की चयन समिति को कहा गया है कि वह सभी सीनियर कोर संभावितों का पूरी तरह आकलन करे और उन पर अपनी रिपोर्ट दे।
ताकि यह देखा जा सके कि इनमें से किन्हें हटाकर युवा खिलाड़यों को जगह दी जा सकती है। युवा टीम ने हाल के अपने यूरोप टूर से काफी उम्मीद जगाई है जिससे यह साबित होता है कि बदलाव का समय आ गया है। हाई परफॉरमेंस डायरेक्टर डेविड जॉन अब अंतरिम प्रभार संभालेंगे जब तक ओल्टमैन्स की जगह नयी नियुक्ति नहीं हो जाती। चयन समिति के अध्यक्ष हरबिंदर सिंह ने कहा-समिति इस बात से एकमत थी कि टीम का 2016 और 2017 में प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था और एशिया के प्रदर्शन को अब सफलता का मापदंड नहीं माना जा सकता।
हमें अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में परिणाम देने होंगे जहां पिछले दो वर्षों में हमें इक्का-दुक्का कामयाबी ही मिली है। हरबिंदर ने कहा-अच्छे परिणाम लाने के लिए हमें कड़े फैसले लेने होंगे ताकि भारतीय हॉकी का भविष्य बेहतर बनाया जा सके। कोचिंग का मौजूदा फॉर्मेट एक स्तर से आगे परिणाम नहीं दे पा रहा था। समिति का सर्वसम्मति से यह मानना था तत्काल कदम उठाये जाने की जरूरत है। परिवर्तन हमेशा सहज नहीं होता है लेकिन यह जरूरी होता है। यदि हमें 2018 के टूर्नामेंटों के लिए प्रबल दावेदार बनाना है तो ये परिवर्तन करने होंगे।