देश में कहीं से भी चांद नजर नहीं आने की वजह से अब ईद शनिवार को मनाई जाएगी। जामा मस्जिद की ‘मरकजी रुयते हिलाल कमेटी’ की बैठक के बाद यह घोषणा की गई कि देश में कहीं चांद नजर नहीं आया है और ऐसे में कल ईद नहीं होगी।
फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया, ‘‘देश के किसी भी हिस्से में चांद नहीं दिखा। इसलिए अब ईद शनिवार को होगी। इस बार के रमजान का कल आखिरी रोजा होगा।’’ इस्लामी कैलेंडर के तहत रमजान का महीना पूरा होने पर ईद मनाई जाती है।
आपको बता दे कि ईद-उल-फ़ितर हिजरी कैलंडर (हिजरी संवत) के दसवें महीने शव्वाल यानी शव्वाल उल-मुकरर्म की पहली तारीख को मनाई जाती है। अब समझने वाली बात यह भी है कि हिजरी कैलेण्डर की शुरुआत इस्लाम की एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना से मानी जाती है।
वह घटना है हज़रत मुहम्मद द्वारा मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत करने की यानी जब हज़रत मुहम्मद ने मक्का छोड़ कर मदीना के लिए कूच किया था।
हिजरी संवत जिस हिजरी कैलेण्डर का हिस्सा है वह चांद पर आधारित कैलेण्डर है। इस कैलेण्डर में हर महीना नया चांद देखकर ही शुरू माना जाता है। ठीक इसी तर्ज पर शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है।
और हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला महीना होता है शव्वाल। ऐसे में जब तक शव्वाल का पहला चांद नजर नहीं आता रमजान के महीने को पूरा नहीं माना जाता। शव्वाल का चांद नजर न आने पर माना जाता है कि रमजान का महीना मुकम्मल होने में कमी है। इसी वजह से ईद अगले दिन या जब भी चांद नजर आए तब मनाई जाती है।
बता दे कि मुस्लिम धर्म में खुदा की इबादत के लिए रमजान का महीना सबसे पाक माना जाता है। कहा जाता है कि रमजान के 27वीं रात को ही शब-ए-कद्र का धरती पर अवतरण हुआ था। मुस्लिम समाज में रमजान के माह को नेकी का माह भी कहा जाता है।
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