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2021 से शिक्षकों की भर्ती और प्रमोशन के लिए पीएचडी न्यूनतम योग्यता होगी : HRD मंत्रालय

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक 2021 से कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (चयन ग्रेड) के प्रमोशन के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य कर दी गई है।

केंद्र सरकार ने बुधवार को शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के मुताबिक 2021 से कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर (चयन ग्रेड) के प्रमोशन के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य कर दी गई है।

आपको बता दे कि जावडेकर ने कहा कि पहले के नियम में जो इन्सेंटिव हैं उन्हें बरकरार रखा गया है। लेकिन एपीआई को खत्म किया है। उन्होंने कहा कि अब कॉलेज टीचर के लिए शोध करना जरूरी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि विदेशी यूनिवर्सिटी से पीएचडी डिग्री हासिल किए व्यक्ति को अब देश में नेट एग्जाम से छूट मिलेगी, बशर्ते उसे एआईयू ने बराबर माना हो।

इससे पहले पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री और राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (नेट) को कॉलेज और विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता मानी जाती थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कदम से नेट परीक्षा का महत्व कम हो जाएगा। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान केवल विश्वविद्यालय के लिए है।

जावड़ेकर ने कहा कि नयी गाइडलाइंस में दुनिया के पांच सौ टॉप रैंकिंग विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से पीएचडी करने वाले लोगों को भी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में मान्यता दी जाएगी और उनकी नियुक्ति के लिए विशेष प्रावधान किये जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि अकादमिक पत्रिकाओं में शोध कार्य का प्रकाशन पदोन्नति के लिए अब मानदंड नहीं था, हालांकि, शिक्षक रिसर्च जारी रख सकते हैं।

इससे पहले पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री और राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (नेट) को कॉलेज और विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता मानी जाती थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस कदम से नेट परीक्षा का महत्व कम हो जाएगा। हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान केवल विश्वविद्यालय के लिए है।

जावड़ेकर ने कहा कि नयी गाइडलाइंस में दुनिया के पांच सौ टॉप रैंकिंग विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से पीएचडी करने वाले लोगों को भी सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में मान्यता दी जाएगी और उनकी नियुक्ति के लिए विशेष प्रावधान किये जाएंगे। मंत्रालय ने कहा कि अकादमिक पत्रिकाओं में शोध कार्य का प्रकाशन पदोन्नति के लिए अब मानदंड नहीं था, हालांकि, शिक्षक रिसर्च जारी रख सकते हैं।

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