हिंद महासागर में चीन भारत को घेरने की कोशिशों में जुटा है। जिसका सामना करने के लिए भारत ने साल 2015 में अपने पड़ोसी द्वीपीय देश सेशेल्स में एक नौसैनिक सैन्य अड्डा बनाने का समझौता किया था। लेकिन अब भारत की इन कोशिशों को बड़ा झटका लगा है सेशल्ज ने भारत के साथ अपने असम्पशन आइलैंड पर नौसैनिक अड्डा बनाने के समझौते को रद्द कर दिया है। इस महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रपति डैनी फॉरे ने कहा था कि जब वह भारत आएंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ असम्पशन आइलैंड प्रॉजेक्ट को लेकर कोई चर्चा नहीं करेंगे। सेशल्ज का यह कदम एक तरह से भारत के कूटनीतिक प्रयासों के लिए असफलता के तौर पर ही देखा जा रहा है।
अभी पिछले दिनों रूस के साथ मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट डिवेलप करने की भारत की 9 अरब डॉलर की डील टूटने की भी खबर आई। सेशल्ज द्वारा सैन्य अड्डे का समझौता तोड़ने की वजह से चीन को काउंटर करने के लिए लिए डिफेंस क्षेत्र में अपने फुट प्रिंट बढ़ाने में जुटे भारत की कवायद को झटका लगा है। सेशल्ज के राष्ट्रपति ने यह भी घोषणा की कि इस प्रॉजेक्ट के सभी उद्देश्य अब खत्म हो चुके हैं और सेशल्ज अगले साल अपने धन से इस सैन्य अड्डे का निर्माण करेगा।
भारत और सेशेल्स के बीच परियोजना पर 2015 में समझौता हुआ था। दोनों देशों ने इसे गुप्त रखने का फैसला किया था। लेकिन कुछ ही दिन पहले परियोजना की जानकारी लीक हो गई थी। इसके बाद सेशेल्स के राजनीतिक दलों ने फॉरे का विरोध शुरू कर दिया था। फॉरे इसी महीने 26 तारीख को द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत दौरे पर आने वाले हैं।
फॉरे ने 2019 के बजट में असम्पशन में कोस्टगार्ड सेवा शुरू करने के लिए फंड्स मुहैया कराने की बात कही थी। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फॉरे ने ये भी कहा था कि वे भारत दौरे में भी शीर्ष नेतृत्व से परियोजना के बारे में चर्चा नहीं करेंगे। हालांकि,भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
आपको बता दे कि सेशेल्स के साथ हुआ यह समझौता भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम था। इसकी वजह हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी है। गौरतलब है कि सेशेल्स का असेम्पशन द्वीप, जिस पर भारत नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता था, वह हिंद महासागर के समुद्री रुट पर स्थित है। ऐसे में भारत सेशेल्स के असेम्पशन द्वीप पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर कूटनीतिक बढ़त बनाना चाहता है, लेकिन अब सेशेल्स द्वारा इस समझौते से पीछे हटने से भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है।
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