भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर ने बृहस्पतिवार को कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए अमेरिका अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ बहुत करीब से काम कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत रासायनिक और जैविक हथियारों पर ऑस्ट्रेलिया ग्रुप में निकट भविष्य में शामिल हो जाएगा।
भारत परमाणु व्यापार का नियंतण्रकरने वाले 48 सदस्यीय प्रतिष्ठित समूह एनएसजी में प्रवेश के लिए प्रयास कर रहा है लेकिन चीन ने बार बार उसके प्रयासों में अडचन डाली है। जस्टर ने माना, अमेरिका और भारत ने संवेदनशील अमेरिकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से संबंधित चुनौतीपूर्ण और जटिल मुद्दों का सामना किया है।
आपको बता दे कि अमेरिका से कई चीनी कंपनियों अपना कारोबार बंद रह रही हैं, जिसके लिए राजदूत ने अपनी चिंता जताई और कहा कि कई बड़ी कंपनियां वैकल्पिक बाजारों की ओर देख रही हैं और ऐसे में भारत एक अच्छा वैकल्पिक निवेश हब बन सकता है।
वही ,भारत के आर्थिक हालात के बारे में बोलते हुए जस्टर का कहना था कि ‘हमारे विचार से पीएम मोदी की लगातार सुधार वाली आर्थिक नीतियां भारत की विकास दर को निरंतर सुधार करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को अभी लंबा रास्ता तय करना है।
बता दे कि 48 देशों वाले इस समूह में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर इसके ज्यादातर सदस्य राजी हैं, मगर चीन लगातार भारत की कोशिशों में अड़ंगा डाल रहा है। वहीं भारत इसकी सदस्यता हासिल करने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहा है। उसने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों का समर्थन भी हासिल कर रखा है। फिर भी उसकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर चीन खड़ा हो गया है। चीन नहीं चाहता कि भारत को एनएसजी में प्रवेश मिले। इसके लिए उसने दो शर्तें थोप रखी हैं। सबसे अहम यह है कि जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं, उन्हें सदस्यता से महरूम रखा जाए। इसके साथ ही चीन पाकिस्तान को इस मामले में भारत के बराबर आंकता चला आ रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर चीन से भारत की बातचीत हो चुकी है। मगर उसका हमेशा से यही राग रहा है कि वह भारत का विरोध नहीं कर रहा है, मगर उसे शर्तें तो माननी होंगी।
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