वाशिंगटन: ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत अफगानिस्तान की क्षमताओं और संस्थानों को मजबूत करने में मदद करें ताकि युद्ध प्रभावित देश पड़ोसी पाकिस्तान में जड़ जमाए बैठे अफगान तालिबान से निपटने में सक्षम हो सके। अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, भारत से उन क्षेत्रों में मदद की जरूरत है जहां यह सुनिश्चित हो सके कि अफगानिस्तान एक देश के रूप में मजबूत हो। ऐसा देश जो सीमा के दूसरी ओर पाकिस्तान में जड़ें जमाए बैठे तालिबान से लोहा ले सके।
अधिकारी अगस्त में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नयी अफगान और दक्षिण एशिया नीति की घोषणा किए जाने के बाद अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व लाने में भारत के योगदान पर पूछे गये एक सवाल का जवाब दे रहे थे। सहायता के रूप में भारत का ध्यान मुख्य रूप से विकास की ओर रहा है और अमेरिका चाहता है कि यह सिलसिला जारी रहे तथा आगे बढ़ें। अधिकारी ने कहा, भारत अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर, अफगानिस्तान की सहायता कर रहा है। भारत ने जल प्रबंधन के क्षेत्र में अफगानिस्तान को मदद करने के लिए बहुत काम किया है।
उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों को बढ़ावा देने में भी मदद की है जो विशेष रूप से आर्थिक विकास और रोजगार को आगे बढ़ाएंगे। निर्माण क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां उसने काफी मदद की है। उन्होंने कहा कि और इस तरह आर्थिक विकास के उन क्षेत्रों में भारत जो भी मदद कर सकता है वह बहुत मददगार होगी। अधिकारी ने कहा कि मादक पदाथो’ के कारोबार की समस्या को सुलझाने की दिशा में काम करने के संबंध में विचार और सहायता भी विशेष रूप से उपयोगी होंगे।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में अमेरिका बहुत काम कर रहा है। अधिकारी ने कहा, लेकिन जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा है कि वह उम्मीद करते हैं कि दूसरे लोग अफगानिस्तान को स्थायी सुरक्षा, स्थायित्व, आर्थिक प्रगति की ओर ले जाने तथा अंतरराष्ट्रीय सहायता पर उसकी निर्भरता कम करने की जिम्मेदारी लेने में मदद करेंगे। उदाहरण के लिए यह सहायता संस्थागत सुधार के क्षेत्रों में भी हो सकती है।