लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

रोहिंग्या की बेहिसाब आबादी पर अंकुश लगाने के लिए नसबंदी का सहारा लेगा बांग्लादेश

NULL

बांग्लादेश में मौजूद रोहिंग्याओं के शिविरों में जन्मदर नियंत्रण के प्रयासों को बढ़वा देने में नाकाम रहने के बाद अब बांग्लादेश उनकी बेहिसाब आबादी पर अंकुश लगाने के लिये स्वैच्छिक नसबंदी शुरू करने की योजना बना रहा है। इन शिविरों में रह रहे करीब 10 लाख रोहिंग्या रहने के लिये जगह की कमी से जूझ रहे हैं।

Rohingya women

पड़सी म्यांमार में अगस्त में सैन्य कार्रवाई के बाद से छह लाख से अधिक रोहिंग्या बांग्लादेश में आये हैं, जिससे इस गरीब देश के मानव संसाधनों पर भार बढ़ता जा रहा है। म्यांमार के रखाइन प्रांत से हाल ही में पलायन करके हजारों रोहिंग्या शरणार्थी यहां पहुंचे हैं। इनमें से अधिकतर बेहद दयनीय हालत में रह रहे हैं जिन्हें भोजन, स्वच्छता या स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद सीमित सुविधा उपलब्ध है और स्थानीय अधिकारियों को यह आशंका है कि परिवार नियोजन के उपायों की कमी से आबादी में और इजाफा हो सकता है।

कॉक्स बाजार जिले में परिवार नियोजन सेवा का नेतृत्व कर रहे पिंटू कांती भट्टाचार्य ने कहा कि रोहिंग्याओं के बीच जन्मदर नियंत्रण को लेकर बेहद कम जानकारी है। जिला परिवार नियोजन अधिकारियों ने गर्भनिरोधक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिये मुहिम शुरू की है लेकिन उन्होंने कहा कि अब तक इन शरणार्थियों के बीच वे महज 549 कंडोम के पैकेट ही वितरित कर पाये हैं। उन्होंने कहा कि इन गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल के प्रति रोहिंग्या अनिच्छुक नजर आते हैं।

Rohingya women

भट्टाचार्य ने बताया कि उन्होंने सरकार से रोहिंग्या पुरुषों में नसबंदी और रोहिंग्या महिलाओं में बंध्याकरण शुरू करने की योजना को मंजूरी देने के लिये कहा है। बहरहाल अनुमान है कि इस कार्य में उन्हें बेहद संघर्ष का सामना करना होगा। कई शरणार्थियों का मानना है कि अधिक आबादी से उन्हें शिविरों में गुजारा करने में मदद मिलेगी, क्योंकि ऐसे हालात में वे अधिक बच्चे होने पर उन्हें रोजर्मा की जरूरतों की चीजों को हासिल करने के काम में लगा सकते हैं। कई अन्य ने बताया कि गर्भनिरोधक इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty − nineteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।