म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन पर मंगलवार को पहली बार चुप्पी तोड़ी । सान सू ची ने ANI से रोहिंग्या मुस्लिम समस्या पर बात करते हुए कहा कि सरकार मौजूदा समस्या को सुलझाने की पूरी कोशिश कर रही है।
म्यांमार की जनता को मंगलवा को संबोधित करने के दूसरे दिन बुधवार को सू ची ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा है कि अपनी तरफ से हम तनाव में फंसे लोगों को बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और हिन्दू , मुस्लिम या रोहिंग्या के बीच कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
There is a small Hindu community in #Rakhine, who were also caught up in the conflict and some of whom were killed: Aung San Suu Kyi
— ANI (@ANI) September 20, 2017
सू ची ने कहा कि यहां रखाइन में हिन्दू समुदाय के लोगों की भी छोटी संख्या है जो कि इस फसाद में फंस गए और उनमें से कुछ मारे गए हैं।
आंग सान ने कहा कि रेखाइन में रहने वाले मुस्लिमों को परिभाषित करने के संबंध में बेहद विवाद है। उनमें से कई ऐसे हैं जो खुद को रोहिंग्या कहलाना पसंद करते हैं। ऐसे भी लोग वहां हैं जो खुद को बंगाली कहलाना चाहते हैं । उन्होंने कहा कि दरअसल यह शब्द भावना से जुड़ा है, लिहाजा मौजूदा माहौल में उनको केवल मुस्लिम कहा।
बता दे कि मंगलवार को स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने पहली बार रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन के मुद्दे पर बोलते हुए कहा था कि म्यांमार हिंसाग्रस्त रखाइन प्रांत के सभी आहत पक्षों की पीड़ा को समझता है और यहां से मुस्लिमों के बांग्लादेश में पलायन को लेकर चिंतित है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर यह पलायन क्यों हो रहा है? जो लोग पलायन को मजबूर हुए हैं उनसे बातचीत करेंगे।
इसके साथ ही कहा था कि सरकार सांप्रदायिक हिंसा के शिकार रखाइन प्रांत में शांति, स्थायित्व और भाईचारा बहाली के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. यहां पर अभी भी बहुत सारे मुस्लिम गांवों से पलायन नहीं हुआ है. यानी कि सभी लोग यहां से नहीं भागे हैं. इसमें जिम्मेदार लोगों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा नहीं जाएगा चाहें वो किसी भी जातीय समूह या धर्म के हों।