मनीला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में नियम आधारित क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे की पुरजोर वकालत की। मोदी की यह अपील हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रमक रुख ने निपटने के लिये भारत, अमेरिका और जापान जैसे बड़ देशों के बीच बढ़ते तालमेल को प्रतिबंबित करती है। इसके साथ उन्होंने सधे अंदाज में चीन को क्षेत्र में उसके आक्रामक सैन्य रुख को लेकर एक संदेश दिया।
आसियान-भारत तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पार आतंकवाद समेत हर प्रकार के आतंकवाद और उग्रवाद को क्षेत्र के समक्ष एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिये क्षेत्र के सभी देशों के हाथ मिलाने का समय आ गया है।
मोदी ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिये एकजुट होने की जरूरत की बात कही। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन और उड़नों की स्वतंत्रता के बारे में भारत की पुराने दृष्टिकोण को रखा और कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की पक्की व्यवस्था करने तथा उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार संपर्क की कडय़रों की विस्तृत जांच की मांग की। उन्होंने दस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के नेताओं से कहा, भारत आसियान को आश्वस्त करता है कि क्षेत्र के लिए नियम आधारित सुरक्षा व्यवस्था ढांचे के लिए हम अपना समर्थन जारी रखेंगे। यही क्षेत्र के हित और शांतिपूर्ण विकास के अनुकूल है।
उनकी इस टिप्पणी को अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया के साथ व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा मसौदे में बड़ भूमिका को लेकर भारत की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। ये चारों देश चीन की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते आक्रमक सैन्य रुख को लेकर आसियान और अन्य देशों की चिंता के बीच चतुष्पक्षीय सुरक्षा गठबंधन को आकार दे रहे हैं। क्षेत्र में सीमा पार आतंकवाद समेत आतंकवाद के खतरों के बारे में मोदी ने कहा कि सामूहिक रूप से इससे निपटने के लिये सभी देशों को हाथ मिलाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, हमें आतंकवाद के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। हमारे समक्ष एकजुट होकर आतंकवाद को खत्म करने के बारे में सोचने का समय आ गया है।